BJP के सीनियर लीडर और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार को दिल्ली के एम्स (AIIMS) में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. अरुण जेटली पढ़ाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की छात्र ईकाई अखिल भारतीय छात्र संघ (All India Students Union) से जुड़े और विभिन्न भूमिकाओं में राजनीति में आगे बढ़ते गए. हमें उनके बारे में ये दस बातें जरूर जाननी चाहिए. जेटली का गुरुवार को डायलिसिस हुआ था. एम्स की मीडिया और प्रोटोकॉल प्रमुख आरती विज ने कहा, 'बहुत ही दुख के साथ हमें सूचित करना पड़ रहा है कि पूर्व वित्तमंत्री व सांसद अरुण जेटली जी का शनिवार को दोपहर 12.07 बजे निधन हो गया है. वह यहां एम्स में 9 अगस्त से भर्ती थे और उनका इलाज वरिष्ठ डॉक्टरों की निगरानी में हो रहा था.'
वित्तमंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने ऐसे कई ठोस कदम उठाए थे जिससे कि भारतीय अर्थव्यस्था को एक बुस्ट दिया. आइये जानते हैं कि अरुण जेटली ने क्या खास कदम उठाए थे-
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वित्तमंत्री के तौर पर अरुण जेटली जी का कार्यकाल
# 2014 में केंद्र में प्रचंड बहुमत से जीत कर आई एनडीए सरकार में पहली बार वित्तमंत्री बने थे अरुण जेटली. इसके बाद जुलाई में इस सरकार ने अपना पहला बजट (Budget) पेश किया. मोदी सरकार ने अपने पहले Budget के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को 7-8 फीसदी GDP ग्रोथ के साथ 'सबका साथ-सबका विकास' का नारा दिया. पहले Budget को पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली (Fianance Minsiter Arun Jaitley) ने कहा था कि देश की जनता ने तेज आर्थिक विकास के लिए BJP को सरकार बनाने का मौका दिया है.
#2015 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने Budget पेश करते हुए दावा किया कि मोदी सरकार के सिर्फ 9 महीने के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था की साख बढ़ी है. वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से दौड़ने के लिए तैयार है. इसेक साथ ही उन्होंने दावा भी किया था कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है. उसके बाद वित्तमंत्री जेटली ने जीडीपी 7.4 की विकास दर हासिल करने की भी उम्मीद जताई थी. जेटली ने 2015 में ही जनधन योजना, आधार और मोबाइल के जरिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसे कई लाभकारी योजनाओं को शुरू किया था.
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#2016 में इन्हीं सारे रिफार्म्स के चलते जहां एक तरफ दुनिया की अर्थव्यस्था की हालत खराब हुई थी लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा परफार्म कर रही थी. IMF ने भी भारतीय अर्थव्यस्था में वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले एक बेहतर भविष्य वाली इकनॉमी घोषित किया. इसी बजट में 7th pay commission की सिफारिशों का फायदा सरकारी कर्मचारियों को मिला था.
इसी वर्ष सरकार के सामने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) लागू करना भी बड़े खर्च में से एक था.
#2017 में ही मोदी सरकार ने सबसे बड़ा आर्थिक रिफार्म किया था. इसी वर्ष नोटबंदी जैसा कड़ा फैसला लिया गया था. जिसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी मजबूती देखी गई थी.
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#2018 इस वर्ष उम्मीद की जा रही थी कि केंद्र सरकार के आखिरी पूर्ण बजट (Budget) में कुछ बड़े अनाउंसमेंट कर सकती है क्योंकि आगे चुनाव आने थे.लेकिन ऐसा नहीं हुआ. साल 2018 के बजट (Budget) में मध्यवर्ग को कुछ खास हाथ नहीं लगा. इनकम टैक्स (Income Tax) स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. इसकी जगह एजुकेशन सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया. इसके साथ ही मेडिकल री इम्बर्समेंट और कनवेंस एलोयेन्स को खत्म कर 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू कर दिया गया. इसके साथ ही ग्रामीणों को एक करोड़ और शहरी इलाकों में 37 लाख पक्के घरों की योजना शुरू की. साथ ही किसानों के लिए भी फसलों पर डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की घोषणा की गई. इसी वर्ष आयुष्मान योजना का भी शुभारंभ किया गया.
HIGHLIGHTS
- पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का हुआ निधन.
- वित्तमंत्री रहते हुए कई बड़े निर्णय लिये थे जेटली जी ने.
- IMF को देश की अर्थव्यवस्था में ग्रोथ दिखा जबकि दुनिया की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही थी.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो