भाजपा नेता और प्रवक्ता गौरव भाटिया (Gaurav Bhatiya) ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान आप पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि हम लोग अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आबकारी नीति (Liquor Policy) के घोटाले को सामने ला रहे हैं. वो कहते है कि मनीष सिसोदिया बहुत अच्छे शिक्षा मंत्री है. न्यू यॉर्क टाइम्स में उनकी खबर छपती है. आज हम केजरीवाल की पाप सरकार के खिलाफ एक और घोटाला सामने ला रहे है. स्वास्थ्य और आबकारी के बाद अब शिक्षा में भी घोटाला है. 25 जुलाई 2019 को CVC को शिकायत आती है, जिसमें ऐसे तथ्य सामने आते हैं जो चिंतित करते हैं और केजरीवाल सरकार के पाप मॉडल को दिखाता है.
इन्होंने कहा था कि 500 स्कूल नए खुलेंगे. pwd को रिपोर्ट दी गई और कहा गया कि हम स्कूल नहीं नए कमरे बनवाएंगे. इस शिकायत में सामने आया कि नियमों की अनदेखी की गई. अपने चिन्हित ठेकेदारों को फायदा दिया गया. कंस्ट्रक्शन कॉस्ट को 50 से 90 प्रतिशत तक बढ़ाया गया. सीवीसी ने एक रिपोर्ट दिल्ली सरकार के विजिलेंस सेक्रेटरी को ढाई साल पहले भेजी. सवाल है कि ढाई साल पहले जो रिपोर्ट भेजी गई उसका संज्ञान लिया आपने. अगर लिया तो उस पर क्या एक्शन लिया गया.
50-90% hiked construction cost was shown, overlooking provisions of CPWD manual, for profit so that tender can be given to select contractors. Matter of concern as CVC inquiry report that a major scam took place, was sent to Delhi Govt Vigilance Secy 2.5 yrs back: Gaurav Bhatia pic.twitter.com/OoooDl32Q8
— ANI (@ANI) August 29, 2022
सीवीसी की रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं. कॉस्ट बढ़ाई गई 90 प्रतिशत. इस रिपोर्ट के मुताबिक 326 करोड़ रुपए कॉस्ट बढ़ी जो तय से 53 प्रतिशत बढ़ी है. इस बदलाव को पब्लिक डोमेन में नहीं लाया गया. बढ़ी हुई कीमत में 33 प्रतिशत कमरे ज्यादा बनाने थे, लेकिन नहीं बनाये गए. 6133 कि जगह 4127 बनाये.
जरूरत थी 160 नए शौचालय की लेकिन 1200 से अधिक की रिपोर्ट दी गई. टॉयलेट को कमरों में ही गिन लिया गया.
घोटाला करने के लिए ऐसा किया गया. जितने क्लासरूम बढ़ेंगे उतने ही पैसे अंदर आएंगे. इन्होंने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्कूलों में होना चाहिए और कहा 29 बनाएंगे लेकिन इंस्पेक्शन में सामने आया कि केवल 2 बनाया गया.
भाजपा नेता गौरव भाटिया बोले ये जो तथ्य है उनको विधानसभा में उत्तर दे दीजिए. सैनशन अमाउंट 980 करोड़ था लेकिन जो अवार्ड वैल्यू थी टैंडर की 860 करोड़, लेकिन जो कुल खर्च हुआ वह है 1315 करोड़ रुपए. जब भी कोई सरकारी काम होता है तो गाइडलाइंस हैं. सीपीडब्लू का नियम है जिसमें टेंडर निकालना जरूरी होता है ताकि पुब्लिक डोमेन में सब रहे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
HIGHLIGHTS
- मीडिया से बातचीत के दौरान आप पर कई आरोप लगाए
- सीवीसी की रिपोर्ट में तथ्य सामने आए हैं
- बदलाव को पब्लिक डोमेन में नहीं लाया गया