बीजेपी अटल बिहारी वाजपेयी की मासिक पुण्य तिथि मनाएगी। पुण्य तिथि के मौके पर काव्यांजलि के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी जाएगी। काव्यांजलि का आयोजन करीब देश भर में 4000 जगहों पर किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आोयजन उनके निधन के दिन यानि की 16 सितंबर को किया जाएगा। हर विधानसभा क्षेत्र पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस कार्यक्रम को लेकर बताया, '17 सितंबर को नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को सेवा दिवस के तौर पर मनाते हैं। इस बार 17 से 25 सिंतबर दीन दयाल उपाध्याय के जयंति तक अटल सप्ताह पर वाजपेयी को काव्यांजलि के बाद कार्यांजलि देने की योजना है। इस सेवा सप्ताह में देश भर की सभी झुग्गियों-झोपड़ियों में बीजेपी और सरकार की तरफ से मेडिकल कैंप लगाए जाएंगे जिसमें चेकअप, टीकाकरण, महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच और बच्चों की सेहत की जांच की जाएगी। इसके बाद ऐसे इलाकों में सफाई का कार्य किया जाएगा।'
सेवा सप्ताह के माध्यम से पूरे देश में करीब 20 हजार जगहों में सफाई, मेडिकल चेकअप और बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। इस दौरान आयुष्मान भारत योजना के लिए जागरुकता फैलाई जाएगी।
वाजपेयी को 2004 में पहली ही हो गया था चुनाव हारने का आभास
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद एक इंटरव्यू में दशकों तक उनके साथ रहे शिवकुमार ने खुलासा किया था कि कि उन्हें साल 2004 के लोकसभा चुनाव में परिणाम आने से पहले ही बीजेपी के हारने का आभास हो गया था। वाजपेयी की आशंका बिल्कुल सही साबित हुई और जब चुनाव परिणाम आए तो शाइनिंग इंडिया जैसे दमदार नारों के बावजूद भी बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को हार का मुंह देखना पड़ा था।
यह खुलासा वाजपेयी के बेहद करीबी रहे शिवकुमार पारीक ने की है। इसके साथ ही उन्होंने वाजेपयी के शासन काल वाली बीजेपी और वर्तमान बीजेपी में तुलना भी की और कहा कि पहले जो बीजेपी और कार्यकर्ताओं में समन्वय था अब वो कहीं गुमा सा हो गया है।
करीब पांच दशकों तक हर सुख-दुख में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भागीदार रहे शिवकुमार ने बताया कि वाजपेयी को 2004 में अपने अंतिम चुनाव में वोट डाले जाने से एक दिन पहले ही पार्टी की हार का आभास हो गया था।
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शिवकुमार ने 2004 के चुनावी अभियान को याद करते हुए कहा, 'वाजपेयी जब लखनऊ में चुनाव प्रचार के अंतिम दौर के बाद आधी रात को लौटे तो उन्होंने कहा, 'सरकार तो गई, हम हार रह हैं।'
करीब पांच दशकों तक वाजपेयी के सहयोगी रहे शिवकुमार ने बताया, 'जब मैंने कहा कि हम नहीं हार सकते तो वाजपेयी ने कहा, आप कौन सी दुनिया में जी रहे हो? मैं लोगों के बीच प्रचार अभियान चलाकर आया हूं।'
Source : News Nation Bureau