देश के चार राज्यों महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और हरियाणा की 16 राज्य सभा सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने राजनीतिक कमाल दिखाते हुए तीन राज्यों में कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है. कुशल रणनीति और विरोधी खेमें के आंतरिक कलह का लाभ उठाकर भाजपा ने महाराष्ट्र और कर्नाटक, दोनों ही राज्यों में एक-एक अतिरिक्त राज्य सभी सीट पर जीत हासिल की, तो वहीं हरियाणा में कांग्रेसी उम्मीदवार को हरा कर भाजपा-जेजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को राज्य सभा पहुंचाने में कामयाब रहे. सिर्फ राजस्थान में ही भाजपा की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई, जहां उसके द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चन्द्रा को हार का सामना करना पड़ा.
10 जून को 4 राज्यों में 16 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा के खाते में 8 सीटें आई हैं, वहीं भाजपा को एक निर्दलीय उम्मीदवार को भी जीत दिलाने में कामयाबी हासिल हुई है. इससे पहले 11 राज्यों में 41 सीटों पर हुए निर्विरोध निर्वाचन में भी सबसे ज्यादा 14 सीटें भाजपा के खाते में ही आई थी. इस तरह से देखा जाए तो भाजपा को अपने दम पर 15 राज्यों में 57 सीटों पर हुए चुनाव में 22 सीटों पर कामयाबी हासिल हुई है. इन 15 राज्यों से 57 राज्य सभा सीट पर हुए चुनाव में भाजपा को 3 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. इन 57 सीटों में से पहले भाजपा के पास अकेले 25 सीट थी, लेकिन इस बार उसके खाते में सिर्फ 22 सीटें ही आ पाई हैं. एनडीए की बात करें तो एआईएडीएमके के 3, जेडीयू के 2 और एक निर्दलीय का आंकड़ा मिलाकर पहले एनडीए के पास इन 57 सीटों में 31 सीट थी लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा के दोनों सहयोगी दलों एआईएडीएमके और जेडीयू को 1-1 सीट का नुकसान उठाना पड़ा है. इस बार भाजपा के 22, एआईएडीएमके के 2, जेडीयू के 1 और एक निर्दलीय उम्मीदवार मिलाकर एनडीए को कुल 26 सीटों पर कामयाबी हासिल हुई है जो इससे पहले की 31 की तुलना में 5 कम है.
इस तरह से राज्य सभा में भाजपा के सांसदों की संख्या में 3 की कमी हो गई है, लेकिन लोक सभा में 301 सांसदों के बल पर भाजपा अभी भी राष्ट्रपति चुनाव के मामले में विरोधी दलों की तुलना में काफी आगे है. हालांकि दोनों सदनों में भाजपा सांसदों की यह संख्या अभी भी 2017 के मुकाबले ज्यादा ही है. लोक सभा में अभी 3 सीटें खाली है और वर्तमान में संसद की कुल 540 सीटों में से भाजपा के पास 301 सासंद हैं. वहीं राज्य सभा की बात करें तो 7 मनोनीत सांसदों सहित कुल 13 सीटें अभी खाली है. उच्च सदन के 232 सांसदों में से अभी भाजपा के खाते में कुल 95 सीटें थी, जो नए निर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण के बाद घटकर 92 रह जाएगी. इसमें भी मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे.
राज्य सभा चुनाव के इन्ही नतीजों के साथ ही यह भी साफ हो गया कि भाजपा को उच्च सदन में एक बार फिर से 100 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा. आपको बता दें कि, इससे पहले इसी वर्ष अप्रैल में राज्य सभा में भाजपा सांसदों का आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया था.
HIGHLIGHTS
- राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा का पलड़ा विपक्ष से है कहीं भारी
- हालांकि राज्य सभा में बीजेपी के सांसदों की संख्या 100 से कम
- अप्रैल में राज्यसभा सांसदों का आंकड़ा 100 के पार था
संयुक्त विपक्ष की ओर से उम्मीदवार का नाम तय होने के आसार