देशभर में कोरोना वायरस के साथ ही अब ब्लैक फंगस ( म्यूकोर्मिकोसिस) ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है. अबतक कई राज्यों को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में ले चुका है. देश में ब्लैक फंगस के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. ब्लैक फंगस आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों और मधुमेह से पीड़ित लोगों में देखी जाती है. इस दुर्लभ संक्रमण का इलाज बेहद जटिल है. हालांकि, इस बीमारी के लिए भी, रायपुर, जोधपुर, पटना, ऋषिकेश, भुवनेश्वर और भोपाल में एम्स द्वारा प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वाला इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है, इसके अलावा कुछ अन्य एम्स में भी ऐसा किया जा रहा है जहां अब तक पूरी तरह से काम शुरू नहीं हुआ है.
कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को एक पत्र भेज मांग की है कि ब्लैक फंगस के उपचार में आने वाले सभी इंजेक्शन की दवा निमार्ताओं द्वारा की जा रही आपूर्ति को केंद्र सरकार तुरंत अपने नियंत्रण में ले. कैट की अपील है कि राज्य सरकारों के माध्यम से इन इंजेक्शनों की आपूर्ति सीधे अस्पतालों में की जाए जिससे जरूरतमंद मरीजों को यह इंजेक्शन आसानी से मिल जाए. कैट के अनुसार, म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस ) के उपचार के लिए आवश्यक लिपोसोमल साल्ट के इंजेक्शन की बाजार में किल्लत हो गई है और इसकी कालाबाजारी और अनैतिक बिक्री की आशंका है.
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राजस्थान
राजस्थान सरकार ने राज्य के कई जिलों में ब्लैक फंगस के मामलों में वृद्धि को देखते हुए बुधवार को इसे महामारी करार दिया. अधिकारियों ने इसकी सूचना दी है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा ने कहा कि ब्लैक फंगस कोविड-19 के दुष्प्रभाव के रूप में उभरा है और चूंकि इनका उपचार भी एक जैसा है इसलिए इसे राजस्थान महामारी अधिनियम के तहत एक महामारी और उल्लेखनीय बीमारी के रूप में घोषित किया गया है, जैसा कि पहले कोविड के लिए किया गया था.
दिल्ली
दिल्ली में संक्रमण दर घट कर अब 6.89 फीसद पहुंच गई है. दिल्ली सरकार इसे जल्द से जल्द इसे 2 फीसद से नीचे लाना चाहती है. वहीं दिल्ली में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस के कारण 235 व्यक्तियों की मौत हुई है. इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने ब्लैक फंगस के उपचार के लिए आवश्यक दवाइयां मांगी हैं. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों को सीधे दवा उपलब्ध कराने के लिए हमने एक लाख दवाओं की मांग की है.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) से अब तक 90 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य के जन स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को इसकी जानकारी दी. ब्लैक फंगस के नाम से कुख्यात म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण की शुरूआत के बाद से आने शुरू हुए हैं. हालांकि, मंत्री ने इसका समय नहीं बताया. उन्होंने कोविड-19 मरीजों के इलाज के दौरान स्टेरॉयड के अंधाधुंध इस्तेमाल के प्रति भी चेताया.
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा, महाराष्ट्र में अब तक म्यूकरमाइकोसिस से 90 लोगों की मौत हो चुकी है. यह गंभीर है. इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. मंत्री ने कहा, कोविड-19 मरीज के इलाज में स्टेरॉयड के अंधाधुंध इस्तेमाल से बचना चाहिए. टोपे ने कहा कि गंभीर मधुमेह और प्रतिरक्षा प्रणाली के दमन जैसे कारकों से भी लोग इस संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं.
गुरुग्राम
गुरुग्राम में अब ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) के कई मामले सामने आ रहे हैं जो जिला स्वास्थ्य विभाग के लिए एक और चिंता का विषय बनता जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, गुरुग्राम में अब तक काले फंगस के करीब 50 मामले सामने आ चुके हैं और करीब 50 और लोगों के इस बीमारी से पीड़ित होने की आशंका है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कोविड से ठीक हुए लोगों में ब्लैक फंगस का संक्रमण पाया जा रहा है. अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि पिछले साल कोरोना की पहली लहर में भी ब्लैक फंगस के कुछ मामले सामने आए थे. हालांकि, दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या अधिक है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिछले चार पांच दिनों में ब्लैक फंगस के मामलों में तेज वृद्धि देखी गई है.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस म्यूकॉरमाइकोसिस के उपचार संबंधी व्यवस्थाओं के लिये एक डेडिकेटेड टॉस्क फोर्स बनाई जाएगी. इस टॉस्क फोर्स को बनाए जाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश भी जारी कर दिए हैं. मुख्यमंत्री चौहान ने अधिकारियों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग में कहा कि प्रदेश में ब्लैक फंगस म्यूकॉरमाइकोसिस की प्राथमिक अवस्था में ही पहचान कर हर मरीज का उपचार करें. इस कार्य को जन-आंदोलन का रूप दिया जाए तथा हर जिले में इसकी जाँच की व्यवस्था हो. इस कार्य में निजी चिकित्सकों का भी पूरा सहयोग लिया जाए.