केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बोफोर्स मामले पर सरकार से कहा है कि वह 2005 के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील नहीं कर सकतीं जिसमें हिंदुजा बंधु को बरी कर दिया गया था। सीबीआई ने कहा यूपीए सरकार ने ऐसा करने की अनुमति नहीं दी थी।
कानून और न्याय मंत्रालय को 22 जून को भेजे गये नोट में सीबीआई ने कहा कि वो न्यायमूर्ति आरएस के फैसले के खिलाफ एसएलपी (विशेष छुट्टी याचिका) दायर नहीं कर सकते क्योकि इसके लिये उन्हें संबंधित अधिकारी से अनुमति नहीं मिली है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार बोफोर्स मामले में लगभग 12 साल बाद सीबीआई ने माना है कि 2005 में तत्कालीन निदेशक यूएस मिश्रा ने आरएस सोढी के फैसले पर एसएलपी (विशेष छुट्टी याचिका) दायर करने संबंधित 36 पन्नों के गोपनीय दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं।
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मिश्रा ने इस मुद्दे को यह कहते हुए बंद कर दिया कि यूपीए सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने से इनकार किया है और कहा है कि इस मामले में अधिक स्पष्टता की जरूरत है।
गौरतलब है कि बोफोर्स मामले पर अजय अग्रवाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सरकार ने सीबीआई से जवाबी हलफनामें पर राय माँगी थी।
रिपोर्ट के अनुसार 26 जून 2005 को बंद किये गये इस केस में सीबीआई के निदेशक यूएस मिश्रा को छोड़कर लगभग सभी ऑफिसर्स का मानना था कि हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ याचिका दायर करनी चाहिए।
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HIGHLIGHTS
- यूपीए सरकार ने याचिका दाखिल करने की नहीं दी थी अनुमति
- सरकार ने सीबीआई से जवाबी हलफनामें पर माँगी थी राय
Source : News Nation Bureau