सुषमा स्वराज अब नहीं रहीं. भाजपा की प्रखर नेता और केंद्र सरकार में कैबिनेट में मंत्री रहीं सुषमा स्वराज के निधन पर हरियाणा के पलवल में गहरा शोक है. सुषमा के परिवार में उनकी भाभी मां और सहेलियों को उनके निधन की सूचना पर गहरा सदमा लगा है.
सुषमा स्वराज ने एक प्रखर वक्ता के तौर पर पहचान बनाकर 25 वर्ष की उम्र में हरियाणा सरकार में 1977 मेँ बनी जनता पार्टी की सरकार में आठ मंत्रालयों की कमान संभाली थी. उसके के बाद बहुत जल्द सुषमा ने भाजपा में पहचान बना ली थी. वह सबसे कम उम्र में किसी राष्ट्रीय पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनी. सुषमा के पिता स्व श्री छैल मोहन थे, जिन्होंने सुषमा को बचपन से ही एक ओजस्वी वक्ता और कवि के गुण कूट-कूटकर भर दिए थे। सुषमा जब बहुत छोटी थी, तभी वह अपनी सहेलियों के साथ खेलते हुए भाषण दिया करती थी, उनके पिता सुषमा को कुर्सी के ऊपर खड़ा करके कहते थे कि यह महसूस करो कि सामने हजारों की संख्या में श्रोता बैठे हैं और अब तुम्हें अपनी कविता या भाषण पढ़ना है. यानी भाषण देने की कला में सुषमा बचपन में ही पारंगत हो गई थीं. स्व श्री छैल मोहन पहले पलवल नगर परिषद नगर पालिका में सचिव के पद पर काम करते थे, उसके बाद वह परवल के जीजीडीएसडी कॉलेज में क्लर्क से हेड क्लर्क तक पहुंचे. सुषमा की माता मूर्ति देवी का स्वर्गवास प्रसव के समय हुआ था. इसके कुछ वर्ष बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी. सुषमा के बड़े भाई डॉक्टर गुलशन राय को उनके नाना जी ने गोद लिया था. माताजी के निधन के बाद सुषमा भी भाई के साथ चली गई. कुछ समय बाद सुषमा की बड़ी बहन वंदना शर्मा भी अंबाला चली गई. सुषमा चार भाई बहन थे, जिनमें
डॉक्टर गुलशन राय सबसे बड़े थे. उनसे छोटी वंदना शर्मा, वंदना से छोटी सुषमा स्वराज और सबसे छोटे भाई अरविंद शर्मा थे, जिनका करीब आठ साल पहले पलवल में निधन हो गया था. सुषमा की सौतेली माता माया भारद्वाज के दो पुत्र गिर्राज शर्मा और हनुमत शर्मा पलवल में ही रहते हैं. सुषमा के निधन का समाचार माया भारद्वाज को सुबह टेलीविजन से ही पता चला. जब उन्हें पता चला कि उनकी बेटी अब अब इस दुनिया में नहीं रहीं तो उन्हें बहुत गहरा धक्का लगा. उन्होंने सबसे पहले अपने छोटे बेटे हनुमत को इसकी सूचना दी. हनुमत गाड़ी लेकर तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हो गए, जहां उनका अंतिम संस्कार होना है। गिर्राज शर्मा सुबह तीन बजे चंडीगढ़ रवाना हुए थे, उनकी उच्च न्यायालय में किसी केस में सुनवाई है.
सुषमा की यादों में डूबी माया भारद्वाज तथा उनकी सहेली कामिनी कौशल भाभी सरोज, पारिवारिक सदस्य मूर्ति शर्मा आदि ने बताया सुषमा का स्वभाव बहुत अच्छा था. वह छोटे से ही होनहार थी और लगता था कि वह जीवन में बहुत बड़ा मुकाम हासिल करेंगीं और यही उन्होंने किया भी. पलवल के की गलियों में खेलने वाली सुषमा स्वराज खेलते- खेलते ही बड़े बड़ों की तरह भाषण देने लगती थी, वह अपनी सहेली कामिनी कौशल के घर जाकर झूला झूलती थी, जो उन्हें बेहद भाता था. सुषमा के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने कभी भी किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया हर दिल अजीज थी और हर समय, हर किसी की मदद के लिए तैयार रहती थी. जब भी कभी उनके पास में कोई किसी काम से गया, उसकी मदद अवश्य की. पलवल जिले के निवासी हों या देश के किसी भी कोने से गया हुआ कोई भी कार्यकर्ता या नागरिक, उनके पास किसी भी प्रकार की मदद के लिए गया, वह उसकी हरसंभव मदद करने वाली थी. उनकी भाभी सरोज ने बताया कि 1984 में निधन से पूर्व तक बाबूजी छेलमोहन उन्हें भाषण लिखकर दिया करते थे.
माता मूर्ति देवी के अकस्मात निधन के बाद पलवल में उनके घरेलू हालात बिगड़े तो वह भी बड़े भाई के पास अम्बाला नाना नानी के घर चली गई थी. बाद में अपने मामा स्व हरदेव शर्मा के घर अंबाला चली गई थी. सुषमा को उनके नाना हरदेव ने ही आगे की शिक्षा दीक्षा कराई. लेकिन पलवल से उनका हमेशा नाता रहा और वह समय-समय पर पलवल आती रही थी. बहुत व्यस्त होने के बावजूद वह छोटे भाई अरविंद के निधन पर कई घंटों तक रही थी. उसके बाद वह अंतिम बार छोटे भाई हनुमत के ओमेक्स सिटी स्थित नए मकान के मुहूर्त पर आई थी. लेकिन भाइयों और परिवार के सुखत-दुख की हमेशा खबर लेती रहती थी.
हरियाणा में दो दिन का राजकीय शोक
हरियाणा सरकार ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन पर उनके सम्मान में प्रदेश में दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है.
मुख्य सचिव कार्यालय के अनुसार सात व आठ अगस्त को प्रदेश के सभी सरकारी भवनों पर नियमित रूप से फहराए जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे और इन दोनों दिवसों में कोई भी सरकारी मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau