देश में लगातार यह बहस चल रही है कि आखिर भारतीय इतिहास में क्या और कैसे बदलाव किए जा रहे हैं. अभी हाल ही में मुगलों का इतिहास कम करने की बात आई, मगर अब दूसरी तरफ गांधी जी की हत्या से पहले के वाकये व कुछ पैराग्राफ को भी कम करने की बात कही जा रही है. कहा जा रहा है कि गांधी जी की हत्या से पहले हिंदू अतिवादियों की उनके प्रति की जा रही नफरत के बारे में पढ़ाए जाने वाले पैराग्राफ व पंक्तियों को इतिहास की किताबों से हटाया जा रहा है.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय व दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ा चुके प्रोफेसर कपिल कपूर कहते हैं कि इतिहास में किए जा रहे यह बदलाव बेहद जरूरी है. कपिल कपूर कहते हैं कि किसने किसको मारा अब तक सिर्फ ये पढ़ाया जा रहा था आखिर क्यों 400-500-800 वर्ष शासन कर चुके चोल चालुक्य मगध के इतिहास को नहीं पढ़ाया गया.
इतिहास अब तक एक तरफा था
दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे प्रोफेसर बीएस नेगी कहते हैं कि इतिहास अब तक एक तरफा था वर्तमान समय में उसे समावेशी किया जा रहा है और इसलिए यह बदलाव बेहद जरूरी हैं. बड़ा सवाल यह उठता है कि भारतीय इतिहास से संबंधित किताबों में जो बदलाव किए जा रहे हैं उनको लेकर उठ रहे तमाम विवाद कितने जायज हैं? और आखिर क्या यह वक्त की नजाकत है जो अब तक छूट गया था. उसे शामिल कर सरकार संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है. इसे लेकर तमाम विवाद खड़े हो रहे हैं.
Source : News Nation Bureau