BSF मेघालय: फ्रेंडली बॉर्डर पर जंगल से लेकर नदी तक की पहरेदारी

मेघालय में बड़ी संख्या में सुपारी के पेड़ हैं. जिसकी कीमत लाखों में होती है. इसके अलावा मॉनसून नालों का इस्तेमाल अवैध तस्करी और घुसपैठ के लिए भी किया जा सकता है,

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Sunder Singh
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सांकेतिक तस्वीर( Photo Credit : News Nation)

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मेघालय में बड़ी संख्या में सुपारी के पेड़ हैं. जिसकी कीमत लाखों में होती है. इसके अलावा मॉनसून नालों का इस्तेमाल अवैध तस्करी और घुसपैठ के लिए भी किया जा सकता है, इसलिए उष्णकटिबंधीय वर्षा वन के दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र में बीएसएफ के सीमा प्रहरी दलदल, पानी, सांप ,बिच्छू ,जोक और जबरदस्त उमस के बीच घने जंगल और पहाड़ी नालों के बीच पेट्रोलिंग कर रही है. न्यूज़ नेशन की टीम भी सीमा प्रहरीयों के परिश्रम को दिखाने के लिए उनके साथ साथ बनी हुई है. पहाड़ के क्षेत्र में नदिया इतनी बड़ी नहीं होती जहां हर नदी पर स्पीड बहुत चलाई जा सके, इसलिए स्थानीय ग्रामीण लोगों की मदद से बीएसएफ वाटर पेट्रोलिंग करती है. यह सुनिश्चित करती है की सीमा चाहे जमीन की हो या पानी की भारत के हर बॉर्डर की पहरेदारी हर पहर में की जाएगी.

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यह पूरे एशिया की सबसे स्वच्छ निर्मल नदी है. गर्मियों के समय इसका पानी बिल्कुल शीशे की तरह साफ और क्रिस्टल की तरह क्लियर हो जाता है. ऐसा लगता है मानो 50 फुट गहरी नदी में भी नाव किसी कांच के ऊपर कर रही हो, हालांकि अब मॉनसून की वजह से इसका पानी इतना साफ नजर नहीं आता. फिर भी असम ,पश्चिम बंगाल समेत भारत के अलग-अलग राज्यों से बड़ी संख्या में पर्यटक किस नदी को देखने के लिए पहुंचते हैं. ऐसे ही एक परिवार से न्यूज़ नेशन ने भी बात की उन्हें इस नदी की सुंदरता और निर्मलता ने मोहित कर दिया ,युवा भी इस नदी को देखकर प्रकृति से प्रेम और प्रदूषण को रोकने की कसमें खाते हैं.

यहां भारत और बांग्लादेश बॉर्डर को नदी का पानी बढ़ता है. यही वजह है मछुआरों की सुरक्षा, तस्करी को रोकना ,मवेशियों की रक्षा करना और सीमा पार किसी भी घुसपैठ को असंभव बना देने के लिए बीएसएफ की वाटर बैंक 24 घंटे वाटर पेट्रोलिंग करती है. इसके लिए इस तरह की स्पीड बोल्ट का इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि ऊपर 1932 में अंग्रेज हुकूमत के वक्त बना हैंगिंग बृज भी है. जो उस वक्त बंगाल और आसाम यानी पहाड़ और मैदान को जोड़ने का काम करता था, उसके जरिए भी इस नदी पर निगेहबान रहती है बीएसएफ के कमांडो की निगाहें.

तिरंगा महोत्सव 
आजादी का अमृत महोत्सव, हाथों में तिरंगा, होठों पर देशभक्ति के गीत और साथ में बीएसएफ के बैंड की धुन इस तरीके से जोश भरा जाता है सीमावर्ती क्षेत्रों में और इसी उत्साह को 15 अगस्त तक बरकरार रखा जाएगा. यह भारत का भविष्य है, इन नन्हे बच्चों के आदर्श महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस हैं. यह बच्चे हाथों में तिरंगा लेकर देश भक्ति के स्वर में सराबोर होकर नाच रहे हैं. प्रसन्नता है आजादी के 75 सालों की और आशा है कि जब हिंदुस्तान की आजादी के 100 साल पूरे होंगे तो भारत विकसित विश्व शक्ति बन जाएगा.

BSF मेघालय BSF Meghalaya Guarding from forest to river on friendly border
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