बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती का राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
बताया जाता है कि बीएसपी प्रमुख के एक नया पत्र सभापति हामिद अंसारी को दिया, जिसके बाद उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया। सूत्रों के अनुसार, मायावती को नियमों के तहत एक पंक्ति का एक पत्र देना था। इससे पहले उन्होंने तीन पन्नों का एक पत्र दिया था, जिसे सशर्त प्रस्ताव मानते हुए स्वीकार नहीं किया जा सकता था।
मायावती ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठाने से रोके जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
राज्यसभा के उपसभापति पी.जे.कुरियन ने बुधवार को बीएसपी की अध्यक्ष मायावती से अपने कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। कुरियन ने कहा कि यह उनका अनुरोध ही नहीं, बल्कि 'पूरे सदन की भावना' है। कांग्रेस, वामदल समेत कई दलों ने मायावती से इस्तीफा वापस लेने की अपील की थी।
और पढ़ें: सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने अपने विवादित बयान पर मांगी माफी
मायावती ने मंगलवार को मानसून सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा में दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी। उपसभापति पी.जे.कुरियन ने उन्हें कहा कि वह पूर्ण चर्चा की मांग पहले ही कर चुकी हैं और सदन को अपनी कार्यवाही आगे बढ़ाने दी जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार तथा मोदी नीत केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि सहारनपुर में मई महीने में जब दलितों के खिलाफ हिंसा की गई, उनके घरों को जलाया गया, तब दोनों ने चुप्पी साध रखी थी। हमले में 15 दलित घायल हुए थे।
जब कुरियन ने मायावती को बोलना बंद करने को कहा, तो उन्होंने कहा, 'यदि मुझे बोलने नहीं दिया गया, अगर मैं उस बिरादरी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती, जिससे मैं ताल्लुक रखती हूं, अगर दलितों के खिलाफ अत्याचार पर मुझे मेरे विचारों को नहीं रखने दिया गया, तो इस सदन में रहने का कोई मतलब नहीं बनता। मैं इस्तीफा दे दूंगी। इसके बाद वह सदन से निकल गईं।'
केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती ने सदन का अपमान किया है और आसन को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि मायावती को माफी मांगनी चाहिए।
Source : News Nation Bureau