लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की कोशिश में जुटी कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी ने एक और बड़ा झटका दिया है. इस बार यह झटका उत्तर नहीं, दक्षिण भारत में लगा है. कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार से बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र मंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया है. हालांकि उन्होंने इस्तीफे का कारण कुछ और बताया है, लेकिन माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में गठबंधन को लेकर कांग्रेस की ढुलमुल नीतियों से पार्टी सुप्रीमो मायावती खफा हैं और कांग्रेस को लगातार झटके दे रही हैं. इससे पहले छत्तीसगढ़ में अजित जोगी की पार्टी से गठबंधन कर मायावती कांग्रेस को आंख दिखा चुकी हैं.
दरअसल, जिन राज्यों में अभी विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां कांग्रेस मुख्य विपक्ष की भूमिका में है. शायद इसलिए वह इन राज्यों में किसी अन्य पार्टी को अपने साथ नहीं रखना चाहती. कांग्रेस के इसी रवैये से क्षुब्ध होकर बसपा ने छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय पार्टी से गठबंधन कर चुनाव में जाने की घोषणा कर दी है. बसपा के अलावा समजवादी पार्टी ने भी मध्यप्रदेश में अपनी अलग राह बना ली है. जिस दिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस को आईना दिखाया था, ठीक उसी दिन समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को आड़े हाथ लिया था. इन दलों की टीस यह है कि जहां कांग्रेस मुख्य विपक्ष की भूमिका में है, वहां अन्य दलों को भाव देना नहीं चाहती. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में कॉंग्रेस की महागठबंधन की कोशिश को ये दल पलीता लगा सकते हैं.
बता दें कि बसपा ने कर्नाटक में जनता दल एस से चुनाव पूर्व गठबंधन किया था. चुनाव में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो जद एस के नेता कुमारस्वामी को कांग्रेस ने समर्थन दे दिया था और उन्होंने सरकार बनाई। जद एस की स्वाभाविक सहयोगी होने के कारण बसपा के विधायक एन. महेश को भी मंत्री पद मिला था, जिसे उन्होंने अब छोड़ दिया है. वहां चल रही गठबंधन सरकार की भी हालत पतली है. आये दिन वहां के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी प्रेस के सामने आंसू बहाते रहते हैं.
कर्नाटक सरकार में बसपा के एकमात्र मंत्री एन महेश ने दिया इस्तीफा
अगर लोकसभा चुनाव तक मायावती और अखिलेश यादव का रुख ऐसा ही रहा और इन दोनो ने कांग्रेस को मजा चखने की सोची तो महागठबंधन नहीं हो पायेगा, जिसका सपना राहुल गांधी पाले बैठे हैं. इससे कांग्रेस को जोर का झटका लगेगा. उधर माकपा ने भी महागठबंधन के अखिल भारतीय स्वरुप को अव्यवहारिक करार देते हुए इसके खिलाफ बयान दिया है. दूसरी और, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में शरद पवार के बयान के विरोध में पार्टी छोड़ दी है. अगर वह कांग्रेस में जाते हैं, जिसकी सम्भावना बहुत अधिक है तो शरद पवार कांग्रेस से नाराज हो जायेंगे. इससे भी महागठबंधन पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जायेगा.
Source : News Nation Bureau