मोदी सरकार के चौथे बजट से पूर्व पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण ने बजट 2017-18 की झलक पेश कर दी है। नोटबंदी के ठीक बाद और पांच राज्यों के अहम विधानसभा चुनाव से पहले सरकार देश का आम बजट पेश करने जा रही है।
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार के लिए बजट को राजनीतिक रूप से लोकलुभावनकारी रखने के साथ ही नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान को कम करने के लिए ग्रोथ रेट को बनाए रखने की चुनौती होगी।
कुल मिलाकर सरकार के बजट में आर्थिक रफ्तार को बनाए रखने की चुनौती के साथ विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लोकलुभावन घोषणाओं के बीच तालमेल बिठाने पर होगी।
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आर्थिक सर्वेक्षण ने भी नोटबंदी से जीडीपी को हुए नुकसान की पुष्टि कर दी है। आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 6.75- 7.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान रखा गया है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 7.6 फीसदी रही थी।
आयकर में मिलेगी छूट
अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के असर को कम करने और उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बजट में शहरी मध्य वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रियायतों की घोषणा की उम्मीदों को बल मिला है।
एसबीआई की रिपोर्ट भी इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किए जाने का संकेत दे चुकी है। माना जा रहा है कि सरकार निजी आयकर टैक्स छूट की सीमा को मौजूदा 2.5 लाख रुपये के स्तर से बढ़ाकर 3-3.5 लाख रुपये कर सकती है।
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हाल ही में आए एक सर्वे में सरकार से आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने के साथ कंपनियों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन में कटौती करने की मांग की गई है। सरकार अगर बजट में ऐसा करती है तो उससे न केवल निजी मांग में बढ़ोतरी होगी बल्कि निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
एसबीआई की रिपोर्ट में आयकर छूट सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किए जाने की उम्मीद जताई गई है। वहीं बैंकों में पांच साल की फिक्सड डिपॉजिट के बजाय तीन साल की एफडी पर कर छूट दी जा सकती है।
इसके अलावा आयकर की धारा 80C के तहत विभिन्न निवेश और बचत पर मिलने वाली छूट सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। पिछले बजट में जेटली ने सेक्शन 80CCD (1) के तहत नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश करने पर 50 हजार रुपए अतिरिक्त टैक्स छूट की अनुमति दी थी। अतिरिक्त छूट के बाद कुल 2 लाख रुपये की छूट ली जा सकती थी।
होम लोन पर मिलेगी छूट
नोटबंदी के बाद सबसे बड़ा झटका देश के रियल एस्टेट को लगा है। नोटबंदी के बाद सामने आई कई रिपोर्ट में रियल एस्टेट को होने वाले नुकसान की भरपाई का जिक्र किया गया है। अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कृषि के बाद यह देश में दूसरा बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है।
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हालांकि नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट की मांग में जबरदस्त गिरावट आई है वहीं नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत से डेवलपर्स ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। फिच की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के कारण देश में प्रॉपर्टी की बिक्री में साल 2017 में 20 से 30 फीसदी की गिरावट आएगी।
नोटबंदी के कारण पैदा हुई नकदी की कमी के साथ उपभोक्ताओं के खर्च में कटौती करने की वजह से प्रॉपर्टी की बिक्री में गिरावट आएगी। रियल एस्टेट में मांग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ब्याज दरों में छूट की घोषणा कर सकती है। एसबीआई की रिपोर्ट में सरकारी होम लोन की स्कीम के तहत खरीदारों को 2 लाख रुपये के ब्याज भुगतान पर छूट मिलती है, जिसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है।
किसानों को मिलेगा तोहफा
लगातार दो बार से सूखे का सामना कर रहे देश के कृषि क्षेत्र को 2017-18 के बजट में बड़ी राहत मिल सकती है। किसानों को दी जाने वाली छूट पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिहाज से अहम है।
पंजाब और उत्तर प्रदेश में किसानों की बड़ी आबादी रहती है और खराब होती कृषि की हालत इन राज्यों के चुनावों में बड़ा मुद्दा है।
ऐसे में बजट में किसानों के लिए बड़े घोषणाओं की उम्मीद बढ़ गई है। कृषि क्षेत्र में क्रेडिट फ्लो को बढ़ाने के लिए सरकार बजट में कृषि कर्ज को मौजूदा 1 लाख करोड़ रुपये बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर सकती है।
पिछले बजट में सरकार ने कृषि के लिए 9 लाख करोड़ रुपये का आवंटन लक्ष्य रखा था। इसमें से 2016-17 के अप्रैल से सितंबर के दौरान करीब 7.56 लाख करोड़ रुपये का आवंटन भी कर दिया है। इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन कर सकती है।
कंपनियों को मिलेगा कॉरपोरेट टैक्स का तोहफा
नोटबंदी के बाद सरकार की सबसे बड़ी चुनौती इंडस्ट्री के ग्रोथ रेट को बनाए रखने की है। बजट 2017-18 में सरकार कॉरपोरेट को राहत देते हुए कॉरपोरेट टैक्स में 2-3 फीसदी तक की कटौती कर सकती है।
मौजूदा कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी है। 2018-19 तक सरकार की योजना कॉर्पोरेट टैक्स को कम कर 25 फीसदी पर लाने का है।
महंगा पडे़गा खाना, पीना और घूमना
देश में जीएसटी को लागू किए जाने की तारीख की घोषणा के बाद सरकार की नजर सर्विस टैक्स को बढ़ाने पर है, जिसका सीधा असर शहरी मध्य वर्ग की जेब पर पड़ेगा। सर्विसस टैक्स की मौजूदा दर 15 फीसदी है जिसे बढ़ाकर 18 फीसदी तक किया जा सकता है।
गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के रेट्स के साथ तालमेल बिठाने सरकार की तरफ से सर्विसस टैक्स में बढ़ोतरी किया जाना तय माना जा रहा है। सर्विस टैक्स में की जाने वाली बढ़ोतरी से फोन बिल, हवाई और रेल किराया, सिनेमा की टिकटों और रेस्टोरेंट के अधिक बिल का भुगतान करना पड़ सकता है।
Source : Abhishek Parashar