केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 वित्तीय वर्ष का आम बजट पेश किया है। इस बजट में किसानों, गरीबों और उद्योगपतियों को सरकार ने राहत दी है लेकिन इसमें मध्यमवर्गीय लोगों को निराशा हाथ लगी है।
वित्तमंत्री ने बजट भाषण में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने से इनकार किया है। हालांकि, इसमें सरकार ने सैलरीड क्लास के मौजूदा टैक्सेबल इनकम में से 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन किया है। इसका मतलब है कि कुल सैलरी में से 40 हजार रुपये घटाने के बाद आपको अपनी सैलरी पर टैक्स देना होगा।
इस डिडक्शन से करीब 2.5 करोड़ सैलरीड और पेंशनर्स को लाभ मिलेगा।
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बता दें कि वेतनभोगियों को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा दो प्रकार से होगा। पहली बात तो ये कि इसमें टैक्स की देनदारी कम होगी और दूसरा इसमें कागजी कार्यवाही भी कम करनी होगी।
40 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए खर्च या निवेश का कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। इससे कर्मचारी टीडीएस के आकलन के वक्त ही 40 हजार रुपये की कटौती कर सकता है।
हालांकि 2005-06 तक कर्मचारियों को स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा मिलि हुई थी। जिसे बाद में वापस ले लिया गया था।
सीनियर सिटीजन्स को अब जमा रकम से 50 हजार रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया है। इससे पहले यह सीमा 10 हजार रुपये थी।
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Source : News Nation Bureau