मोदी सरकार अपना आखिरी पूर्ण बजट गुरुवार को लोकसभा में पेश करेगी। जिसमें अगले साल की पहली छमाही में होने वाले लोकसभा चुनाव की छाप साफ दिखने की उम्मीद है। ऐसे में करदाताओं, कृषि से जुड़े लोगों और रियल स्टेट को जेटली की पोटली से बड़ी राहत मिल सकती है।
हालांकि जीएसटी कलेक्शन में आई तंगी की वजह से सरकार कुछ टैक्स में बढ़ोतरी कर सकती है।
खबरों के मुताबिक सरकार शेयरों से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को टैक्स के दायरे में ला सकती है। अभी तक सरकार इस कमाई पर टैक्स नहीं लेती है।
शेयरों की खरीद-बिक्री पर लगने वाले सिक्योरिटी ट्रांजैक्शंस (एसटीटी) में बढ़ोतरी की जा सकती है। सरकार कस्टम्स ड्यूटी में बढ़ोतरी कर सकती है। मोबाइल्स पर लगने वाले ड्यूटी में इजाफा कर वह इसके बारे में पहले से ही संकेत दे चुकी है।
टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद
वित्त मंत्री अरुण जेटली 2018-19 के आम बजट में टैक्स छूट सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर सकते हैं। फिलहाल यह ढाई लाख रुपये है। जेटली बजट में टैक्स स्लैब में भी बदलाव कर सकते हैं। पांच से दस लाख रुपये की सालाना आय को दस प्रतिशत टैक्स दायरे में लाया जा सकता है।
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बजट पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भी असर दिखेगा। इस बजट में सरकार को अब तक जीएसटी के दायरे से बाहर रहे मदों को इसमें शामिल करने की आवश्यकता होगी। मसलन, पेट्रोलियम उत्पाद अब तक जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।
आयकर और निगमकर में भी जेटली ने करदाताओं को राहत देने के संकेत दिए हैं, जैसा कि जेटली ने कहा है कि कर आधार में विस्तार किया गया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान देश में 15 जनवरी, 2018 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वर्ष के मुकाबले 18.7 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कृषि
कई राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव हैं। जानकारों का मानना है कि बजट में कृषि क्षेत्र को ज्यादा तवज्जो दिया जाएगा, क्योंकि कृषि विकास के आकड़ों में गिरावट आई है और इस क्षेत्र की हालत चिंताजनक है।
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कांग्रेस समेत कई दलों ने कृषि सेक्टर में आई गिरावट और आत्महत्या को मुद्दा बनाया है। विपक्षी दल किसान कर्जमाफी के लिए भी सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं।
रियल एस्टेट
आम बजट 2018-19 से रियल एस्टेट को भी काफी उम्मीदे हैं, जहां रेरा (रियल एस्टेट विनिमयन व विकास अधिनियम), जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) और नोटबंदी लागू होने से कारोबार प्रभावित हुआ है।
इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को आम बजट में करों में कटौती और रियल एस्टेट को इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र का दर्जा मिलने की उम्मीद है। रियल एस्टेट उद्योग स्टैंप शुल्क को जीएसटी के तहत लाने तथा जीएसटी की वर्तमान 12 फीसदी दर को घटाकर 6 फीसदी करने की मांग कर रहा है।
रेल में सुरक्षा पर रहेगा जोर
बजट में सुरक्षा और यात्री सुविधाओं को शीर्ष प्रमुखता दिए जाने की संभावना है। भारतीय रेलवे की पूरी सिग्नल प्रणाली के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए 78,000 करोड़ रुपये की लागत को आगामी बजट में अन्य सुरक्षा उपायों के बीच मंजूरी मिल सकती है।
रेलवे को इस बार सकल बजट सहयोग (जीबीएस) का 65,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसमें बीते साल के मुकाबले 10,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। बीते साल से रेल बजट का आम बजट के साथ विलय किया गया है।
देश के विकास को बढ़ाने के लिए रेल क्षेत्र में निवेश महत्वपूर्ण है। बीते बजट में एक लाख करोड़ रुपये का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया गया था।
बजट में सिग्नलों को स्वचालित बनाने के कदम से सुरक्षा के उपायों को आगे और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। बड़े स्तर पर विद्युतीकरण के अलावा नई लाइनें बिछाने, गेज परिवर्तन व दोहरीकरण भी बजट का हिस्सा बने रहेंगे।
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Source : News Nation Bureau