बैंकों के साथ फर्जीवाड़ा करके विदेश भाग जाने वाले कर्जदारों पर नकेल कसने के लिये मोदी सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक, 2018 को विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में पेश किया।
वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने लोकसभा में विपक्षी दलों की तरफ से किये जा रहे प्रदर्शनों और शोर-शराबे के बीच इस विधेयक को पेश किया।
हाल ही में पीएनबी में हुए 12000 करोड़ रुपये से भी अधिक के फर्जीवाड़े के बाद सरकार ने ऐसे अपराधियों पर नकेल कसने के लिये 2 मार्च को इस विधेयक को कैबिनेट की मंज़ूरी मिली थी।
ललित मोदी, विजय माल्या, नीरव मोदी, और मेहुल चोकसी और ऐसे ही कई और दूसरे भगोड़े आर्थिक अपराधी है जो फर्जीवाड़ा करके विदेश भाग गए हैं।
इस विधेयक के नोट में कहा गया है, 'भगोड़ा आर्थिक आपराधी वो है जिसके खिलाफ इस तरह का अपराध करने के बाद गिरफ्तारी का वॉरंट जारी किया गया है। लेकिन वो गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिये विदेश भाग गया है, या फिर कानूनी कार्रवाई का सामना न करने के लिये भारत आने से इनकार कर रहा हो।'
सरकार के अधिकारियों के अनुसार इससे ऐसे अपराधियों को जो विदेश भागकर कानून का सामना नहीं करना चाहते उन्हें भारतीय कानून के दायरे में लाने के लिये खाका तैयार किया जा सकेगा। 100 करोड़ या उससे ऊपर के मामलों में हुए अपराध इस कानून के तहत आएंगे।
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इस बिल से उन अपराधियों के खिलाफ 'प्रभावी, अतिशीघ्र और संविधान के तहत रोक लगाने में सहायता मिलेगी' जो बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों से फर्जीवाड़ा करके भागे हुए हैं।
बिल के तहत कोर्ट में भी एक आवेदन दिया जा सकेगा कि वो ऐसे अपराधियों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करें। कानून के प्रावधान के तहत उनकी देश और विदेश स्थित संपत्ति को भी जब्त किया जा सकता है, जिसमें बेनामी संपत्ति भी शामिल होगी। इसके लिये एक एडमिनिस्ट्रेटर भी नियुक्त किया जाएगा जो जब्त की गई संपत्ति की नीलामी आदि से संबंधित मामलों को देखेगा।
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Source : News Nation Bureau