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कासगंज हिंसा का मामला राज्यसभा में गूंजा, विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा

उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस के दिन उपजे तनाव और उसके बाद हुई हिंसा की गूंज शुक्रवार को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भी सुनाई दी।

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Jeevan Prakash
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कासगंज हिंसा का मामला राज्यसभा में गूंजा, विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा

कासगंज हिंसा का मामला राज्यसभा में गूंजा (फाइल फोटो)

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आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी (सपा) समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा और दिल्ली में सीलिंग अभियान का मुद्दा उठाया, जिसके कारण राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई।

सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। उसके बाद राज्यसभा के उपसभापति पी. जे. कुरियन ने विधायी कार्य को निपटाया और शून्य काल में सदस्यों को उनके मुद्दे उठाने की इजाजत दी।

सपा नेता रामगोपाल यादव और नरेश अग्रवाल ने कासगंज सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में सरकार पर 'अल्पसंख्यकों की आवाज दबाने' का आरोप लगाया और इस संबंध में सरकार से जवाब मांगा।

यादव ने कहा, 'कासगंज में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। प्रशासन के सहयोग से उनके घर को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है और उनकी आवाज दबाई जा रही है। उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है।'

जब यादव यह मामला उठा रहे थे, सपा के अन्य सदस्य सभापति के आसन के समीप चले गए और नारे लगाने लगे।

आप के नवनिर्वाचित सदस्य भी सदन में पार्टी के नेता संजय सिंह के नेतृत्व में सभापति के आसन के पास पहुंच गए और दिल्ली में सीलिंग मुद्दे पर नारे लगाने लगे।

कांग्रेस नेता के.वी.पी. रामचंद्र रॉव भी हाथ में एक तख्ती लिए सत्ता पक्ष के पास पहुंच गए। तख्ती पर लिखा था- 'आंध्र प्रदेश की मदद करो'।

कुरियन ने रॉव को सीट पर जाने के लिए बार-बार कहा और मुद्दे को उचित नोटिस देकर उठाने को कहा, लेकिन वह न तो वापस गए और न ही उन्होंने एक शब्द कहा।

कुरियन ने नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद से आग्रह किया कि वह अपनी पार्टी के सदस्य को वापस उनकी सीट पर जाकर बैठने को कहें। 

उन्होंने कहा, 'इसे देखिए, वह क्या कर रहे हैं। क्या कोई इस तरह कर सकता है। वह पागल हो गए हैं। मैं उनके खिलाफ कार्रवाई करूंगा।'

रॉव सपा और आप सदस्यों के नारे के बीच अपनी जगह पर चुपचाप डटे रहे।

कासगंज हिंसा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए नरेश अग्रवाल ने कहा, 'जो कुछ भी कासगंज में हो रहा है, वह राज्य सरकार की शह पर हो रहा है और प्रशासन ने इस संबंध में एकतरफा निर्णय लिया है।'

कुरियन ने इस मुद्दे पर सपा नेताओं को उचित नोटिस देने के लिए कहा और स्पष्ट किया कि वे लोग इस पर सरकार को प्रतिक्रिया देने के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकते।

उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करते हुए कहा, 'यह सरकार पर है कि वह उत्तर दे। मैं सदन को स्थगित करने के लिए मजबूर हूं।'

सदन की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई, संजय सिंह की अगुवाई में आप के सदस्य सभापति के आसन के समक्ष चले गए और नारे लगाने लगे।

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उन्होंने केंद्र सरकार पर सात लाख व्यापारियों की जिंदगियों को बर्बाद करने का आरोप लगाया।

कुरियन ने आप सदस्यों से इस मामले में सोमवार को उचित नोटिस देने को कहा, लेकिन उनलोगों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, "दिल्ली सभी सांसदों का दूसरा घर है। इसलिए यह हमारा दायित्व है कि हम उनकी मदद करें। केंद्र सरकार केवल मूकदर्शक बन कर नहीं रह सकती।"

आप के सदस्य इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष के बोलने और केंद्र सरकार से 'दिल्ली के लोगों की मदद करने' का आग्रह करने के बाद अपनी जगहों पर वापस चले गए और शून्य काल की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई।

प्रश्न काल समाप्त होने के बाद कुरियन ने अपराह्न् ढाई बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

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आपको बता दें कि 26 जनवरी को विश्व हिंदू परिषद और एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में अवरोध के बाद कासगंज में हिंसा की आग भड़क उठी थी। इस मामले में अब तक पुलिस 8 मुकदमे दर्ज कर 40 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

इसके साथ ही शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 151 सीआरपीसी के अंतर्गत अब तक 81 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस प्रकार अब तक कुल 121 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

वहीं यूपी सरकार ने कासगंज हिंसा मामले में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। रिपोर्ट में कानून व्यवस्था को लेकर पैदा हुई स्थिति, मौजूदा स्थिति और कार्रवाई के बारे में बताया गया है।

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Source : News Nation Bureau

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