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जंगलों को बढ़ाने के लिए ऐसे बनाएं तालाब, पीपल बाबा ने बताया तरीका

तालाब बनाने की प्रक्रिया finishing, water pit, composting और हैंडपम्प लगाने के साथ-साथ ही शुरू होती है. पूरे जंगल में पानी के लिए मात्र एक तालाब सबसे ज्यादा ढलान वाली जगह पर बनाया जाता है.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

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तालाब बनाने की प्रक्रिया finishing, water pit, composting और हैंडपम्प लगाने के साथ-साथ ही शुरू होती है. पूरे जंगल में पानी के लिए मात्र एक तालाब सबसे ज्यादा ढलान वाली जगह पर बनाया जाता है. तालाब के 10% हिस्से पर जलकुम्भी लगाई जाती है इससे मिट्टी तालाब में आने से रुक जाता है. लेकिन जलकुम्भी के ज्यादे हो जाने पर तालाब में कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ जाता है इसलिए समय समय पर जलकुम्भी को साफ किया जाता है.

तालाब के सभी किनारों पर घास और पेड़ भी लगाए जाते हैं ये मिट्टी को जकड़ कर रखते हैं और तालाब में मिट्टी को जाने से रोकते भी हैं. यहाँ पर मुख्य बात यह है कि पीपल बाबा तालाब के एंट्री पॉइंट्स पर अम्ब्रेला पोम नामक घास लगाते हैं. यह यह घास वाटर फ़िल्टर का काम करती है.

अम्ब्रेला- पोम नामक घास पूरी दुनियां में पायी जाती है लेकिन जापान में इसका प्रयोग तालाब के जल के शुद्दिकरण के लिए खूब किया जाता है. शुरुआती समय में हैंडपम्प और वाटर टैंकर से पौधों को पानी पिलाया जाता है लेकिन धीमे धीमे जैसे जैसे पेड़ बड़े होने लगते हैं वैसे-वैसे water टैंकर जंगलों के बीच नहीं आ पाते तब तक तालाब तैयार हो जाते हैं.

तालाब बनाने की प्रक्रिया

पर्यावरण के लिए काम करने वाले पीपल बाबा कहते हैं कि जिस दिन से जंगल लगाने का कार्य शुरू होता है उसी दिन से इन जंगलों के सबसे ढलान वाली ऐसी जगह पर तालाब बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है जहाँ पर चारों तरफ से पानी आकर रुके. इन्हीं तालाबों के माध्यम से बिना टैंकरों के पीपल बाबा ने पेड़ों को सींचा है. पीपल बाबा ने जलसंरक्षण के लिए जंगलों के बीच हर ढलान वाली जगह के सबसे निचले बिन्दु पर तालाब और जंगलों के बीच ढेर साडी जगहों पर छोटे-छोटे गड्ढे बनाए हैं.

जिसमें आसानी से पानी जमा होता रहता है. 3-4 साल में जलस्तर काफ़ी ऊपर आ जाता है. गर्मियों में ये छोटे गड्ढे तो सूख जाते हैं लेकिन तालाबों में लबालब पानी भरा रहता है. जंगलों के बीच जगह-जगह पर छोटे गड्ढ़े इसलिए खोदे जाते हैं क्यूंकि दूर तालाब और नल से पानी लाने में समय कम लगे.

मानसून के मौसम में अगर हम थोड़ी सक्रियता बरतें तो तालाबों का सालों साल फायदा उठाया जा सकता है. जी हाँ बरसात के मौसम में अगर हम जल संरक्षण का काम करें तो भूमिगत जल को ऊपर उठाया जा सकता है. साथ ही साथ सालों साल जल की कमी को दूर किया जा सकता है. लेकिन हर साल गिर रहे जलस्तर के बीच इंसान मोटर, समर्सिबल पंप, और इंजन लगाकर जमीन से पानी खींचकर अपना काम चला रहे हैं. जलसंचयन के लिए कार्य न होने की वजह से वर्षा का जल नालियों के रास्ते नदियों में होते हुए समुद्र में विलीन हो जाता है.

Source : News Nation Bureau

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