बुंदेलखंड: संपत पाल के गुलाबी गैंग में एक बार फिर आपसी 'संघर्ष' की नौबत!

बुंदेलखंड के तेज तर्रार महिला संगठन 'गुलाबी गैंग' में एक बार फिर से वर्चस्व की जंग के बीज पनपने लगे हैं।

author-image
Akash Shevde
एडिट
New Update
बुंदेलखंड: संपत पाल के गुलाबी गैंग में एक बार फिर आपसी 'संघर्ष' की नौबत!

फाइल फोटो - संपत पाल (Getty Images)

Advertisment

बुंदेलखंड के तेज तर्रार महिला संगठन 'गुलाबी गैंग' में एक बार फिर से वर्चस्व की जंग के बीज पनपने लगे हैं। अबकी बार 19 दिसंबर को कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में गुलाबी साड़ी पहनकर पहुंचीं महिलाओं को लेकर घमासान शुरू हुआ है। इससे कई धड़ों में बंटी 'गुलाबी गैंग' की महिलाओं में एक बार फिर आपसी 'संघर्ष' की नौबत बन गई है।

बुंदेलखंड में गैर पंजीकृत संगठन 'गुलाबी गैंग' अब कई धड़ों में बंट चुका है। इसकी अगुआ रहीं संपत पाल को संगठन का कांग्रेसीकरण करने का आरोप लगाकर दो मार्च, 2014 को बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद 'गुलाबी' नाम से कई महिलाओं ने अलग-अलग संगठन फर्म्स सोसायटीज रजिस्ट्रेशन की एक्ट 1860 की धारा-21 के अंतर्गत पंजीयन कराकर काम कर रही हैं, मगर संपत पाल अब भी महिलाओं को गुलाबी साड़ी पहनने से भड़क उठती हैं।

उनका मानना है कि यह साड़ी 'गुलाबी गैंग' का ड्रेस कोड है। 19 दिसंबर को फतेहपुर की हेमलता पटेल अपने पंजीकृत संगठन 'गुलाबी नारी' की 200 महिलाओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में शामिल हुईं तो संपत बिफर उठीं। उन्होंने भाजपा पर किराए की महिलाओं को गुलाबी साड़ी पहनाने का आरोप जड़ दिया, इसके जवाब में हेमलता ने फतेहपुर जिला मुख्यालय में संपत के खिलाफ महिलाओं का जुलूस निकाल कर महिलओं का समर्थन खोने के अलावा 'गुलाबी गैंग' के पंजीयन का सबूत तक मांग लिया।

हेमलता के दावे में दम भी है, अब तक गुलाबी गैंग का पंजीयन ही नहीं है। संपत पाल अपने सामाजिक संगठन 'आदिवासी महिला ग्रामोद्योग सेवा संस्थान' के पंजीयन को ही गुलाबी गैंग का पंजीयन बता रही हैं।

ये भी पढ़ें- बुंदेलखंड में घटते जंगल के कारण पशुओं की संख्या में लगातार हो रही है कमी

संपत के कार्यकाल में उनकी वाइस कमांडर रहीं महोबा की सुमन चौहान ने जहां 'गुलाबी महिला सेवा समिति' का पंजीयन कराया है, वहीं कानपुर की आशा निगम ने 'गुलाबी महिला फाउंडेशन' का पंजीयन कराकर महिलाओं की लड़ाई लड़ रही हैं।

सबसे खास बात यह है कि हर धड़ा खुद को गुलाबी गैंग बता रहा है। इसके अलावा जालौन की अंजलि शुक्ला और कौशांबी की चुन्नी मिश्रा ने भी गुलाबी नाम से अलग संगठन पंजीकृत कराया है।

गुलाबी महिला फाउंडेशन की प्रमुख आशा निगम का कहना है कि गुलाबी साड़ी पहनने से रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। संपत पाल महिलाओं की कमांडर तब तक थीं, जब तक उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया था। अब गुलाबी गैंग का अस्तित्व ही खत्म हो गया है।

'गुलाबी महिला सेवा समिति' महोबा की प्रमुख सुमन सिंह चौहान भी आशा निगम की बात से सहमत हैं। उनका कहना है कि गुलाबी साड़ी पहनकर जहां भी महिलाओं की भीड़ इकट्ठा हो जाती है, वहीं गुलाबी गैंग बन जाता है, अगर संपत के पास गुलाबी गैंग का पंजीयन है और उसके टीम के अलावा किसी महिला को गुलाबी साड़ी पहनने का हक नहीं है तो वह जरिए अदालत कपड़ा निर्माण कंपनियों और व्यवसायियों पर शिकंजा कसें, ताकि उसके अलावा अन्य महिला को गुलाबी साड़ी और ब्लाउज का कपड़ा न बेचें।'

इधर, संपत के बयान से गुस्साई हेमलता पटेल ने शुक्रवार को कहा था कि दर-दर की ठोकरें खाने वाली संपत को फर्श से अर्श तक बढ़ाने का काम अपना पेट काटकर महिलाओं ने ही किया है, संपत अगर अपनी आदत में सुधार नहीं करतीं तो वह उससे आमने-सामने भिड़ेंगी।

उन्होंने कहा कि 'विभिन्न धड़ों में बंटे गुलाबी गैंग की महिलाओं की शीघ्र बैठक कर संपत से निपटने की रणनीति बनाई जाएगी, जरूरत पड़ी तो गुलाबी रंग से संपत को ही बेदखल कर दिया जाएगा।'

संपत पाल अब भी खुद को गुलाबी गैंग की मुखिया मानती हैं, उन्होंने कहा कि जो महिलाएं टीम छोड़कर अलग संगठन बना चुकी हैं, उन्हें किसी भी कार्यक्रम में गुलाबी ड्रेस नहीं धारण करना चाहिए, इससे उनकी बदनामी होती है।
गैंग के पंजीयन के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके पंजीकृत सामाजिक संगठन का यह सह-संगठन है, जिसके पंजीयन की जरूरत नहीं है।

बहरहाल, पिछले तीन साल से बुंदेलखंड में अपनी वजूद की लड़ाई लड़ रहे 'गुलाबी गैंग' की विभिन्न धड़ों में बंटी महिलाओं के बीच वर्चस्व को लेकर एक बार फिर आपसी 'संघर्ष' की नौबत बनती जा रही है, जो महिलाओं के हित में कतई नहीं है।

Source : IANS

sampat pal Gulabi Gang
Advertisment
Advertisment
Advertisment