तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जे के बाद वहां फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी जारी है. गुरुवार को 24 भारतीय और 11 नेपाली (Nepalese) नागरिक भारत पहुंचे. भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर से सभी हिंडन एयरबेस पर उतरे. यहां से इन्हें राजधानी दिल्ली ले जाया जाएगा. एयरबेस पर विदेश मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहे. सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के विशेष विमान में सिर्फ 35 लोग हैं, जिसमें 24 भारतीय और 11 नेपाली मूल के नागरिक हैं. 15 अगस्त को तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद काबुल में तेजी से बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को देखते हुए भारत अपने मिशन ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ के तहत पहले ही 800 से अधिक लोगों को वापस ला चुका है.
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जानकारी के मुताबिक भारतीय वायुसेना का विशेष विमान अपने साथ अफगान नागरिकों को लेकर उड़ान नहीं भर सका. जानकारी दी गई कि तालिबान, अफगान नागरिकों को देश से बाहर नहीं जाने दे रहा है. पहले तैयारी थी कि विमान को काबुल से दुशांबे ले जाया जाए और फिर वहां से एयर इंडिया की फ्लाइट के जरिए सभी को दिल्ली लाया जाए लेकिन अंतिम समय में भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से लाने का फैसला किया गया.
दूसरी तरफ अफगानिस्तान में फंसे नागरिकों को वापस निकालना अमेरिका के लिए परेशानी का सबब बन गया है. काबुल एयरपोर्ट पर ताबिलान के कब्जे के बाद अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए अलर्ट जारी कर उन्हें वहां से दूर करने की चेतावनी दी है. अमेरिका ने अपने नागरिकों से कहा है कि वह तुरंत एयरपोर्ट के गेट से वापस लौट जाएं. काबुल में अमेरिकी दूतावास ने भी हवाईअड्डे के गेट के बाहर मौजूद अमेरिकी नागरिकों को अलर्ट जारी किया है, जिसमें उन्हें 'सुरक्षा खतरों' के कारण तुरंत जाने के लिए कहा गया है.
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जब तक कहा ना जाएं, एयरपोर्ट ना आएं
काबुल एयरपोर्ट से ही चलाए जा रहे अमेरिकी दूतावास की ओर से कहा कि काबुल एयरपोर्ट के बाहर सुरक्षा को काफी खतरा है, इसलिए हम अमेरिकी नागरिकों को सलाह देते हैं कि वह एयरपोर्ट की यात्रा ना करें और वह इस समय एयरपोर्ट के गेट पर ना जाएं, जब तक कि अमेरिकी सरकार के किसी प्रतिनिधि की ओर से आपको ऐसा करने के लिए निर्देश ना दिया जाए. पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा कि 31 अगस्त तक काबुल हवाईअड्डे के प्रबंधन की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ अमेरिका की है.