नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) के पास होने के बाद से ही नॉर्थईस्ट में तनावपूर्ण स्थिति है. नॉर्थईस्ट के लोग इस कानून को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने और शांति व्यवस्था कायम करने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद करने का ऐलान किया गया है. 16 दिसंबर तक यानी 48 घंटे तक असम में इंटरनेट सेवा बंद रहेगी. असम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन के बाद अब मुंबई में भी इस कानून का विरोध हो रहा है. दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में भी विरोध प्रदर्शन हुआ. अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजनीतिक विभाग) संजय कृष्ण ने बताया है कि असम के 10 जिलों में सोमवार को इंटरनेट सेवा बंद रहेगी. असम के लखीमपुर, तिनसुकिया, धेमाजी, डिब्रूगढ़, चराइदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कामरूप (मेट्रो) और कामरूप में इंटरनेट सेवा बंद रहेगी.
बंगाल में रेलवे स्टेशन पर लगाई आग
शनिवार को नागरिकता संशोधन एक्ट पर पश्चिम बंगाल में हिंसक प्रदर्शन दिखाई दिया. वहीं एक दिन पहले यानि शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. इतना ही नहीं शनिवार को तो प्रदर्शनकारियों ने रेल पटरियों और राजमार्गों पर धरना दिया, जिससे ट्रेन सेवाएं ठप रहीं और यातायात व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित रही. मुर्शिदाबाद जिले के बेलडंगा रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारी स्टेशन मास्टर के केबिन में घुस गए जहां उन्होंने टिकट काउंटर पर जमकर हंगामा काटा और तोड़फोड़ करने के बाद आग लगा दी. आपको बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में सीएए प्रस्तावित एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के खिलाफ पोस्टर लिए हुए थे. प्रदर्शनकारियों के उत्पात से बेलडंगा स्टेशन के कर्मचारियों को अपनी जान बचाने के लिए काम छोड़कर भागना पड़ा.
मुंबई पहुंची नागरिकता संशोधन कानून की आग
नागरिकता संशोधन कानून को देश के कई हिस्सों में हो रहे प्रदर्शन की जद में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी आई. शनिवार को मुंबई में पूर्वोत्तर के काफी लोगों ने इकट्ठा होकर जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी की. शनविरा को मुंबई के आजाद मैदान पर भारी संख्या में असमिया और नॉर्थईस्ट के लोग इकट्ठा हुए और नागरिकाता संशोधन बिल के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. आपको बता दें कि इस प्रदर्शन में अभिनेत्री दीपानिता शर्मा भी मौजूद रहीं प्रदर्शन की जानकारी पहले से होने के कारण सुरक्षा के लिए वहां भारी संख्या में पुलिसकर्मी भी आजाद मैदान में मौजूद थे. इन प्रोटेस्टर्स का कहना था कि असमिया पहचान लगभग 200 जनजातियों और 33 बोलियों के साथ एक है, लेकिन यह बिल इस पहचान को खत्म कर सकता है. प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार वोट बैंक साधने के लिए ऐसे कदम उठा रही है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो