भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) ने 36 राफेल विमान समेत प्रस्तावित रक्षा खरीद के 4 सौदों के बेंचमार्क मूल्य अनुमान में खामियां पाईं हैं. कैग ने वायुसेना की हालिया 11 अधिग्रहणों पर अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, 'लगातार बेंचमार्क के गलत होने से रक्षा रखीद प्रणाली में लागत निर्धारण विशेषज्ञता की कमी का पता चलता है.'
कैग ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का बेंचमार्क मूल्य अनुमान और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा 126 राफेल विमान सौदे में प्रस्तावित वास्तविक कीमत में 47 फीसदी का अंतर है.
मोदी सरकार द्वारा 36 राफेल विमान के लिए किए गए करार में बेंचमार्क और वास्तविक कीमत में 56.67 फीसदी का अंतर है. रिपोर्ट में वास्तविक राशि को गुप्त रखा गया है.
रक्षा मंत्रालय ने 15 चिनूक हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर की खरीद में अनुमानित बेंचमार्क कीमत 4,119.72 करोड़ रुपये रखी है, लेकिन निविदा मूल्य 6,473.91 करोड़ रुपये है.
5 फुल मिशन सिम्युलेटर्स की खरीद में रक्षा मंत्रालय की अनुमानित लागत 444.8 लाख डॉलर थी, लेकिन वास्तविक कीमत 796.1 लाख डॉलर थी.
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कैग ने कहा कि अंतिम खरीदों की कीमतें प्राय: अनुमान के लिए लगाई गई थीं. रिपोर्ट में कैग ने कहा है, 'अंतिम खरीद बहुत पुरानी थी, उत्पादन भी एक जैसे नहीं थे.'
लेखापरीक्षक ने कहा है कि ज्यादातर लागत निर्धारण, मूल्य अनुमान और कीमतों की तुलना प्राय: वायुसेना के मुख्यालय में रक्षा मंत्रालय के लागत सलाहकारों की मदद से या उनकी मदद के बिना की गई.
Source : IANS