भारत और चीन (India China) के बीच सीमा पर तनातनी के बीच देश के अंदर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस आमने-सामने हैं. चीन विवाद के अलावा देश में कई मुद्दों पर भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. इस बीच कांग्रेस (Congress) ने संसद का वर्चुअल सत्र बुलाने की मांग की है. कांग्रेस का कहना है कि भारत-चीन के बीच तनातनी, ईंधन के दाम में बढ़ोतरी, कोविड-19 महामारी व राष्ट्रीय महत्व के अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए संसद का वर्चुअल सत्र बुलाया जाए.
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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए वर्चुअल सत्र बुलाया जाना चाहिए. उन्होंने कह था कि 1962 के दौरान बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने सत्र की मांग की थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री ने वह मांग स्वीकार कर ली थी. उन्होंने कहा कि यहां तक कि संसदीय समितियों को बैठक कर अहम मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए, सवाल उठाने चाहिए कि सबकुछ ठप क्यों पड़ा.
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वहीं, मनीष तिवारी ने कहा कि दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को आगे बढ़कर सरकार पर वर्चुअल सत्र के लिए दबाव बनाना चाहिए. देश के हालात को देखते हुए ऐसा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. चीन मुद्दे पर पवन खेड़ा ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, 'किसी भी सरकार के सामने दो विकल्प होते हैं या तो वो पूरे देश को साथ लेकर चले या सेना के पीछे खड़े होकर चीन का मुकाबला करे या शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर दबाकर कहे कि कुछ हुआ ही नहीं, LAC पर कोई घुसपैठ नहीं हुई. लेकिन अफसोस की बात है कि मोदी सरकार ने तीसरा रास्ता चुना.'
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कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया, 'उन्होंने कहा कि जो भी हमारे सेवानिवृत सेना अधिकारी हैं या सुरक्षा विशेषज्ञ हैं या विपक्ष हैं या मीडिया कर्मी हैं, इनमें से कोई भी अगर सीमा की अखंडता पर सरकार से सवाल पूछे या सरकार को आगाह करे जैसा कि मई से कुछ एक्सपर्ट आगाह कर रहे हैं. सरकार उन लोगों को लाल आँख दिखा रही है, जो आपके घर में बैठ कर आपको आगाह कर रहे हैं कि अपने घर की सीमाओं को हमें बचाना है, वहाँ दुश्मन आ चुका है और दुश्मन को आप क्लीन चीट दे रहे हैं ये इस देश के इतिहास में पहली बार हुआ है.'
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