पैसा लेकर सवाल पूछने के मामले में दिल्ली में एक विशेष अदालत ने 11 पूर्व सांसदों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार का आरोप तय करने का आदेश दिया है। इस घोटाले के बाद आरोपी सांसदों को सदन से निष्कासित कर दिया गया था।
इन सांसदों के खिलाफ साल 2005 में रुपये लेकर संसद में सवाल पूछने से जुड़े घोटाले में आरोपपत्र दाखिल किया गया है।
विशेष न्यायाधीश पूनम चौधरी ने कहा कि प्रथम दृष्टया इन पूर्व सांसदों और एक व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप बनते हैं।
अदालत ने सभी 12 आरोपियों को 28 अगस्त को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। उनके खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किये जाएंगे।
2005 में हुए इस मामले में पूर्व सांसदों छतरपाल सिंह लोढ़ा (बीजेपी), अन्ना साहब एम के पाटिल (बीजेपी), मनोज कुमार (आरजेडी), चंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी), रामसेवक सिंह (कांग्रेस), नरेंद्र कुमार कुशवाहा (बीएसपी), प्रदीप गांधी (बीजेपी), सुरेश चंदेल (बीजेपी), लाल चंद्र कोल (बीएसपी), वाई जी महाजन (बीजेपी) और राजा रामपाल (बीएसपी) को इस मामले में आरोपी बनाया गया है।
इसके अलावा कोर्ट ने रवींद्र कुमार के खिलाफ भी आरोप तय करने का आदेश दिया है। एक और आरोपी विजय फोगाट का नाम हटा दिया गया है क्योंकि फोगाट की म़त्यु हो चुकी है।
इस मामले में वेब पोर्टल के दो पत्रकारों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। इन पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भ्रष्टाचार के लिये प्रेरित करने का आरोप लगाया गया था। लेकिन इनपर लगाए गए मामले को दिल्ली हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
दिल्ली पुलिस ने इन पूर्व सांसदों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। अभियोजन पक्ष के विशेष सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने इन पूर्व सांसदों पर पद और कार्यालय के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एक स्टिंग ऑपरेशन में उन्हें संसद में सवाल पूछने के लिए रुपये लेते हुए कैमरे में कैद कर लिया गया था।
Source : News Nation Bureau