केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने रविवार को कहा कि आयकर विभाग के उन 50 आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है, जिन्होंने कोविड-19 (Covid-19) से जुड़े राहत उपायों के लिये राजस्व जुटाने पर एक अवांछित रिपोर्ट तैयार की है और इसे बिना अनुमति के सार्वजनिक भी कर दिया. सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि उसने आईआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा और न ही इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले कोई अनुमति ली गई.
यह भी पढे़ंः Uttar Pradesh : आगरा में लॉकडाउन का पालन कराने गई पुलिस पर हमला, SI घायल
सीबीडीटी ने कहा, यह स्पष्ट किया जाता है कि सीबीडीटी ने आईआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा. आधिकारिक मामलों पर अपने व्यक्तिगत विचारों और सुझावों के साथ सार्वजनिक रूप से जाने से पहले अधिकारियों द्वारा कोई अनुमति नहीं मांगी गयी, जो कि आदर्श आचरण नियमों का उल्लंघन है. इस मामले में आवश्यक जांच शुरू की जा रही है.
इसमें आगे कहा गया है कि "सार्वजनिक की गयी रिपोर्ट" किसी भी तरीके से सीबीडीटी अथवा वित्त मंत्रालय के आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है. भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) एसोसिएशन के इन 50 अधिकारियों ने 'फोर्स (राजकोषीय विकल्प और कोविड-19 महामारी के लिये प्रतिक्रिया) शीर्षक से एक रिपोर्ट में एक करोड़ रुपये से अधिक आय वाले लोगों के लिये आय कर की दर बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है.
अभी एक करोड़ से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है. इसी तरह रिपोर्ट में पांच करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले लोगों पर संपत्ति कर लगाने का सुझाव दिया गया है. रिपोर्ट में कोरोना वायरस महामारी को लेकर राहत कार्य के वित्तपोषण के लिये 10 लाख रुपये से अधिक की कर योग्य आय वाले लोगों पर चार प्रतिशत की दर से कोविड-19 राहत उपकर लगाने का भी सुझाव दिया गया है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने इससे पहले कहा था कि इन अधिकारियों की रिपोर्ट "व्यर्थ" है. यह अनुशासनहीनता और सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन है.
यह भी पढे़ंःदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या पहुंची 27 हजार, जबकि करीब 6 हजार लोग हुए ठीक: स्वास्थ्य मंत्रालय
एक सूत्र ने कहा, ऐसी रिपोर्ट तैयार करना उनके काम का हिस्सा भी नहीं था. इसलिए, यह प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता और आचरण नियमों का उल्लंघन है, जो विशेष रूप से अधिकारियों को बिना किसी पूर्व स्वीकृति के आधिकारिक मामलों पर अपने व्यक्तिगत विचारों के साथ मीडिया में जाने पर रोक लगाता है. इस रिपोर्ट पर 23 अप्रैल की तारीख दर्ज है और यह सीबीडीटी अध्यक्ष को सौंपी गयी थी. मंत्रालय के सूत्रों ने आगे कहा कि आईआरएस एसोसिएशन के ट्विटर और वेबसाइट के माध्यम से मीडिया में रिपोर्ट जारी करना कुछ अधिकारियों का 'गैर जिम्मेदाराना कार्य' है.
उधर आईआरएस एसासेसियेसन ने भी ट्वीट में कहा है, 50 युवा आईआरएस अधिकारियों द्वारा तैयार दस्तावेज ‘फोर्स’ जिसमें कुछ नीतिगत उपायों के बारे में सुझाव दिया गया है और इसे सीबीडीटी को विचार के लिये भेजा गया. यह समूचे भारतीय राजस्व सेवा अथवा आयकर विभाग के आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.