सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के. वी. चौधरी की अगुवाई में बनी समिति के समक्ष एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और खुद का बचाव किया. जांच समिति में चौधरी के अलावा सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. के. पटनायक और सतर्कता आयुक्त तेजेंद्र मोहन भसीन और शरद कुमार शामिल हैं. जानकार सूत्रों ने बताया कि समित के समक्ष एक घंटे तक चली जिरह में वर्मा ने खुद के ऊपर अस्थाना द्वारा लगाए गए आरोपों से इन्कार किया.
वर्मा केंद्रीय सर्तकता आयोग के मुख्याल में समिति के समक्ष पेश हुए. उन्होंने समिति को बताया कि अस्थाना ने उनके खिलाफ तुच्छ शिकायतें की, क्योंकि उसके (अस्थाना के) खिलाफ एफआईआर लंबित था, और उसे गिरफ्तारी का डर था.
अपने खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इन्कार करते हुए वर्मा ने कहा यह आरोप इसलिए लगाए गए, क्योंकि वे अस्थाना के खिलाफ जांच की कार्रवाई कर रहे थे.
भ्रष्टाचार मामले में नाम सामने आने पर 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा को 23 अक्टूबर को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया और उनकी सभी शक्तियां छीन ली गई. तीन दिन के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई में सीवीसी को वर्मा के खिलाफ दो हफ्तों में जांच खत्म करने को कहा.
अस्थाना के सीवीसी मुख्यालय से निकलने के बाद जांच समिति के समक्ष पेश होने के लिए अस्थाना पहुंचे. उनके 40 मिनट तक पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने किसी भी घूसखोरी के मामले में संलिप्तता से इनकार किया.
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सूत्रों ने बताया कि अस्थाना ने समिति के समक्ष वर्मा के ऊपर लगाए गए आरोपों का सबूत भी पेश किया. जांच समिति ने इसके अलावा कई सीबीआई अधिकारियों से इस मामले में पूछताछ की है.
Source : IANS