सीबीआई में मची उथल-पुथल के बीच बुधवार को सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया. इससे पहले मुकदमेबाजी भी हुई. हाई कोर्ट में भी मामला पहुचा. पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के समय भी सीबीआई की साख पर ऐसे ही सवाल उठने लगे थे, जब खुद उन्हीं पर संस्थान को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी. उन पर पद पर रहते हुए कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप था. उनके समय में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सीबीआइ पिंजरे में बंद तोते की तरह है. पढ़िए, रंजीत सिन्हा से जुड़े विवाद :
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विवाद नंबर 1
अप्रैल 2013 में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा विवादों में तब आए थे, जब कोयला घोटाले की जांच रिपोर्ट का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपने से पहले उन्होंने उसे तत्कालीन कानून मंत्री अश्विनी कुमार को दिखाया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रंजीत सिन्हा के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाते हुए नाराजगी जताई थी.
विवाद नंबर 2
सिन्हा के आधिकारिक आवास की विजिटर डायरी की जांच से कथित तौर पर पता चला था कि कोयला घोटाले से जुड़े मामलों के कई आरोपी उनके घर आते थे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा की भूमिका की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिया था. 1974 बैच के आईपीएस अधिकारी सिन्हा 2012 से 2014 के बीच सीबीआई निदेशक रहे थे.
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विवाद नंबर 3
सिन्हा पर चारा घोटाले के आरोपी लालू प्रसाद यादव से भी बेहतर बेहतर संबंध होने के भी आरोप लगे. लालू प्रसाद के रेलमंत्री रहते ही रंजीत सिन्हा की आरपीएफ के मुखिया के रूप में नियुक्ति हुई थी.
विवाद नंबर 4
आरपीएफ मुखिया के रूप में सिन्हा पर 2011 में आरोप लगा था कि ममता बनर्जी के रेलमंत्री पद छोड़ने और पश्चिम बंगाल के सीएम बनने पर भी उन्हें आरपीएफ की सुरक्षा मुहैया कराई जाती रही. हालांकि रंजीत सिन्हा ने अपनी सफाई में कहा था कि ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के एक दिन पूर्व उन्होंने आरपीएफ मुखिया का पद छोड़ दिया था.
विवाद नंबर 5
रंजीत सिन्हा ने इशरत जहां एनकाउंटर मामले में एक बयान देकर सनसनी मचा दी थी. तब उन्होंने एक आइबी अधिकारी की गिरफ्तारी की बात कही थी. इससे यह संदेश गया कि सरकार की दो महत्वपूर्ण एजेंसियों सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) और आईबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) में तालमेल बिल्कुल नहीं है.
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Source : News Nation Bureau