सीबीआई ने आलोक वर्मा के सीबीआई डायरेक्टर रहते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के फोन टैप किए जाने के आरोपों का खंडन किया है. दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में सीबीआई ने कहा, स्पेशल यूनिट ने कभी भी अजित डोभाल और पूर्व सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के टेलीफोन कॉल को टैप नहीं किया. सीबीआई ने कभी भी गैर कानूनी तरीके से किसी टेलीफोन नंबर को सर्विलांस पर नहीं रखा. सीबीआई ने कहा कि उसने हमेशा टेलीफोन सर्विलांस को लेकर तय किए नियमों का पालन किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि पूर्व सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और कुछ दूसरे अधिकारी गैर कानूनी तरीके से फोन कॉल टैपिंग में शामिल थे. याचिका में इनके रोल की एसआईटी जांच के साथ-साथ भविष्य में उच्च अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर होने वाली फोन कॉल टैपिंग, सर्विलांस और इसके लिए अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए गाइड लाइन बनाने की मांग भी की गई है. याचिकाकर्ता के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में दायर डीआईजी मनीष सिन्हा की याचिका से इस बात का खुलासा हुआ है कि कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे उच्च पद पर बैठे लोगों के फोन की टैपिंग की गई और इसके लिए पूरा सिंडिकेट काम कर रहा था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन अधिकारियों ने अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए अपने अधिकार का दुरूपयोग किया. ऐसे में इसकी एसआइटी जांच होनी चाहिए.
सीबीआई ने आरोपों को झूठा बताया
सीबीआई ने याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में इन आरोपों को बेबुनियाद, झूठा और आधारहीन करार दिया है. सीबीआई के मुताबिक, फोन कॉल टैपिंग और सर्विलांस के लिए बाकायदा एक गाइडलाइन है, जिसका एजेंसी ने पालन किया है. कल गृह मंत्रालय की ओर से दायर जवाब में कहा गया था कि देश की अखंडता, सम्प्रभुता की रक्षा के लिए पुलिस एजेंसियों की ओर से टेलोफोन कॉल टैप किए जाते हैं.
Source : News Nation Bureau