उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगे बलात्कार के आरोप को लेकर काफी फजीहत झेलने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया है।
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दखल दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया है।
गौरतलब है कि बीजेपी विधायक पर लगे गंभीर आरोप को लेकर सियासी विवाद बढ़ने के बाद सेंगर के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज किया गया।
वहीं एसआईटी की रिपोर्ट मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किए जाने के बाद इस मामले में कई अधिकारियों पर भी गाज गिरी है।
सीबीआई पीड़िता के साथ बलात्कार और कस्टडी में हुई उसके पिता की मौत के मामले की भी जांच करेगी।
लापरवाही बरतने के आरोप में सफीपुर के सीओ कुंवर बहादुर सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
पीड़िता के पिता के उपचार में लापरवाही पर उन्नाव के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ डी के द्विवेदी व वरिष्ठ अधिकारी डॉ प्रशांत उपाध्याय को भी निलंबित किया गया है। डॉ मनोज, डॉ जीपी सचान और डॉ गौरव अग्रवाल के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
सरकार ने पीड़िता के परिवार को सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है। मामले में दो चिकित्सकों व एक सीओ को निलंबित कर दिया गया है।
और पढ़ें- कठुआ रेप केस: नाबालिग की हत्या से पहले पुलिस अधिकारी ने कहा- रुको मैं भी रेप करूंगा
मामले में गठित एसआईटी की जांच में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मारपीट की साजिश रचने का आरोपी बताया गया है। वहीं विधायक के भाई अतुल सिंह को पीड़िता के पिता के साथ मारपीट करने का दोषी पाया गया है।
गौरतलब है कि लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने अपनी रिपोर्ट देर रात प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार को सौंपी। अरविंद कुमार ने यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत की। इसके बाद कई अधिकारियों को निलंबित करने का फरमान जारी कर दिया गया।
राजीव कृष्ण के नेतृत्व में गठित एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट में विधायक और दुष्कर्म पीड़िता के परिवारों के बीच पुरानी रंजिश की भी बात सामने आई है। एसआईटी ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच का भी सुझाव दिया है और उन्नाव पुलिस को भी मामले में दोषी माना है।
उल्लेखनीय है कि उन्नाव रेप कांड की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तलब की थी। इसके मद्देनजर डीजीपी ने एसआईटी गठित कर उन्नाव भेजा था।
यह टीम बुधवार को उन्नाव के माखी थाना क्षेत्र में स्थित पीड़िता के घर पहुंची। वहां दो घंटे से भी ज्यादा समय तक पीड़िता व उसके परिजनों से बात की।
विधायक पक्ष के भी पांच लोगों से पूछताछ की गई। एसआईटी ने उन्नाव के डीएम व एसपी से मामले की अलग-अलग जानकारी ली।
और पढ़ें: SC जज ने कॉलेजियम सिस्टम में सरकार के दख़ल पर CJI को लिखा ख़त, कहा- इतिहास हमें माफ नहीं करेगा
इधर, अपने ऊपर सरकार की ओर से बढ़ते दबाव को देखते हुए आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने भी लखनऊ में देर रात अपने समर्थकों के साथ जमकर हंगामा किया। देर रात अचानक वह अपने समर्थकों के साथ एसएसपी कार्यालय पहुंच गए।
पहले पुलिस को यह बताया गया कि विधायक आत्मसमर्पण करने आए हैं, लेकिन बाद में विधायक खुद ही इस बात से पलट गए।
एसएसपी कार्यालय के बाहर बुधवार देर रात पत्रकारों से बातचीत के दौरान कुलदीप सिंह सेंगर ने कहा कि वह आत्मसमर्पण करने नहीं बल्कि पुलिस को यह बताने आए थे कि वह भगोड़ा नहीं हैं। वह हर जांच के लिए तैयार हैं।
और पढ़ें: कठुआ में 8 साल की मासूम से रेप के बाद हत्या मामले में चार्जशीट फाइल
HIGHLIGHTS
- पोक्सो एक्ट के तहत बीजेपी विधायक मुकेश सिंह सेंगर के खिलाफ FIR दर्ज
- सरकार ने दुष्कर्म पीड़िता के परिवार को सुरक्षा देने का आश्वासन दिया
- दो चिकित्सक और एक सीओ को निलंबित, कई अधिकारीयों पर गिरी गाज
Source : IANS