केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंप दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी द्वारा जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मामले की सुनवाई को शुक्रवार के लिए स्थगित कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा आलोक वर्मा पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को पूरा करने के लिए सीवीसी को दो सप्ताह का समय दिया था.
सीबीआई के शीर्ष दो अधिकारियों (नंबर-1 और 2) के बीच उपजे विवाद के बाद 24 अक्टूबर को सरकार ने वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था.
इससे पहले जांच के दौरान आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के. वी. चौधरी की अगुवाई में बनी समिति के समक्ष एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, तथा खुद का बचाव किया था. जांच समिति में चौधरी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. के. पटनायक और सतर्कता आयुक्त तेजेंद्र मोहन भसीन और शरद कुमार शामिल थे.
सीवीसी के समित के समक्ष एक घंटे तक चली जिरह में वर्मा ने खुद के ऊपर अस्थाना द्वारा लगाए गए आरोपों से इन्कार किया था. उन्होंने समिति को बताया था कि अस्थाना ने उनके खिलाफ तुच्छ शिकायतें की, क्योंकि उसके (अस्थाना के) खिलाफ एफआईआर लंबित था, और उसे गिरफ्तारी का डर था.
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अपने खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इन्कार करते हुए वर्मा ने कहा यह आरोप इसलिए लगाए गए, क्योंकि वे अस्थाना के खिलाफ जांच की कार्रवाई कर रहे थे.
भ्रष्टाचार मामले में नाम सामने आने पर 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा को 23 अक्टूबर को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था और उनकी सभी शक्तियां छीन ली गई थी. तीन दिन के बाद 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई में सीवीसी को वर्मा के खिलाफ दो हफ्तों में जांच खत्म करने को कहा था.
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जांच समिति के समक्ष पेश होने के लिए अस्थाना भी पहुंचे थे. उनसे 40 मिनट तक पूछताछ की गई थी, जिसमें उन्होंने किसी भी घूसखोरी के मामले में संलिप्तता से इनकार किया था. सूत्रों ने बताया कि अस्थाना ने समिति के समक्ष वर्मा के ऊपर लगाए गए आरोपों का सबूत भी पेश किया था. जांच समिति ने इसके अलावा कई सीबीआई अधिकारियों से इस मामले में पूछताछ की थी.
Source : News Nation Bureau