तमिलनाडु के सुलूर में सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 11 अन्य जांबाजों की दुःखद मौत ने देश को तो गमगीन किया ही, साथ ही कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं. हालांकि दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मिल जाने से उम्मीद है कि अंतिम समय में क्या हुआ होगा, इस पर कुछ रोशनी पड़ सके. इस बीच यह सवाल भी उठने लगा है कि वीवीआईपी प्रोटोकॉल के तहत नीलगिरि के मौसम को जानने-समझने के लिए टोही हेलीकॉप्टर भेजे गए थे या नहीं. इस बारे में फिलहाल विरोधाभासी रिपोर्ट सामने आ रही हैं. सेना से जुड़ा मसला होने की वजह से कोई भी औपचारिक रूप से कुछ कहने से कतरा रहा है.
दो टोही हेलीकॉप्टर गए
गौरतलब है कि बुधवार को हेलीकॉप्टर हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और अन्य 11 लोगों का निधन हो गया था. इस हादसे के बाद प्रोटोकॉल को लेकर भी दबी-छिपी आवाजें उठने लगी हैं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक वायुसेना के दो हेलीकॉप्टरों को मौसम का हाल जानने के लिए रूट का स्काउट करने के लिए भेजा गया था. हालांकि यह साफ नहीं हो पा रहा है कि ये हेलीकॉप्टर वेलिंगटन हेलीपैड पर उतरे थे या नहीं.
यह भी पढ़ेंः अगला CDS कौन... आर्मी चीफ जनरल नरवणे का नाम सबसे आगे
यह कहता है प्रोटोकॉल
वायुसेना के रिटायर्ड अफसर एस रमेश कुमार का कहना है कि आमतौर पर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के दौरे के समय चार हेलीकॉप्टर मुख्य हेलीकॉप्टर के साथ उड़ान भरते हैं. हालांकि वह इस मामले में पुख्ता नहीं थे कि सीडीएस के एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर के वेलिंगटन से उड़ान भरने के पहले किसी हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी कि नहीं. सुलूर एयर बेस के एक अफसर ने कहा है कि प्रोटोकॉल के तहत नीलगिरि के मौसम का अनुमान लगाने के लिए वायुसेना के दो हेलीकॉप्टरों को रूट का स्काउट करने के लिए भेजा गया था.
यह भी पढ़ेंः 36 सैनिकों को ले जाने में सक्षम है Mi-17V-5, जानिए खासियत
चश्मदीदों ने नहीं सुनी दूसरे चॉपर्स की आवाज
वहीं वेलिंगटन के मद्रास रेजिमेंटल सेंटर के वरिष्ठ अफसर का कहना है, ‘चूंकि एमआई-17 वी 5 एक भरोसेमंद हेलीकॉप्टर है, इसलिए वास्तविक तौर पर छोटे हेलीकॉप्टर्स की ओर से कोई भी ट्रायल रन नहीं किया गया था.’ इसके साथ ही वेलिंगटन के जिस डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज सीडीएस लेक्चर देने गए थे, वहां के अफसर ने इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. जिस जगह सीडीएस जनरल बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था, उस जगह मौजूद चश्मदीदों का कहना है कि उन्होंने वहां कोई भी अन्य हेलीकॉप्टर नहीं देखा था और ना ही उसकी कोई आवाज सुनी थी.
HIGHLIGHTS
- प्रोटोकॉल के तहत मौसम को जानने भेजे जाते हैं टोही विमान
- वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर रूट का स्काउट करने भेजे गए थे
- चश्मदीदों का कहना है कि उन्होंने नहीं सुनी और कोई आवाज