चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद राज्यसभा के 12 निलंबित सांसदों का धरना गुरुवार को एक दिन के लिए रद्द किया गया है. 12 निलंबित सांसद पिछले 8 दिन से सदन परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ रहे थे. गौरतलब है कि लगातार विपक्षी दल केंद्र पर आरोप लगाते हुए ये कह रहे हैं कि राज्यसभा में जो अड़चनें पैदा हो रही हैं, उसके लिए सरकार जिम्मेवार है. सरकार ने नियम को तोड़ते हुए हमारे 12 सदस्यों को निलंबित किया है. निलंबन वापस नहीं लिया तो, विपक्षी दल निलंबित सांसदों के साथ अनशन पर बैठेंगे.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेसवार्ता कर कहा, हम बार-बार सदन के नेता, सभापति से मिलते रहे और अपनी बात रखी कि नियम 256 के तहत जब आप निलंबित कर रहे हैं, तो उस नियम के मुताबिक ही निलंबित कर सकते हैं. इसके बावजूद, उन्होंने उन नियमों की अनदेखी करते हुए गलत तरीके से मानसून सत्र में घटी घटना को शीत सत्र में लाकर 12 सदस्यों को निलंबित कर दिया. खड़गे ने कहा कि हमने अब ये तय किया है कि जब तक सांसदों का निलंबन वापस नहीं लिया जाता, हम अपना विरोध जारी रखेंगे. निलंबन वापस नहीं हुआ तो बैठे हुए सांसदों के साथ हम भी एक दिन बैठकर उपवास करेंगे.
दरअसल पिछले सप्ताह सोमवार यानी 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा में कांग्रेस, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था. जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस सांसद फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन व शांता छेत्री. वहीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुवेर्दी और अनिल देसाई व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- बीते 8 दिनों से संसद परिसर में धरने पर हैं 12 सांसद
- सीडीएस बिपिन रावत के सम्मान में लिया गया फैसला