मोदी सरकार ने प्रवासी मजदूरों के रेल यात्रा के लिए SOP जारी की, राज्यों को करना होगा अब ये काम

केंद्र ने फंसे हुए प्रवासी मजदूरों और उनके गृह राज्यों के बीच परिवहन को लेकर मंगलवार को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की जिसके तहत राज्य प्रभारी अधिकारियों को चिह्नित करेगा और प्रवासियों को भेजने या लाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगा.

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nitu pandey
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केंद्र ने प्रवासियों के रेल सफर के लिए एसओपी जारी की( Photo Credit : फाइल फोटो)

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केंद्र ने फंसे हुए प्रवासी मजदूरों (Migrants workers) और उनके गृह राज्यों के बीच परिवहन को लेकर मंगलवार को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की जिसके तहत राज्य प्रभारी अधिकारियों को चिह्नित करेगा और प्रवासियों को भेजने या लाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगा. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने संशोधित एसओपी  (SOP) जारी करते हुए कहा कि श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति रेलवे मंत्रालय गृह मंत्रालय के साथ परामर्श कर देगा.

गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा जारी एसओपी में कहा गया कि राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभारी अधिकारियों को नामित करना होगा और ऐसे फंसे हुए लोगों को भेजने या उनके आने पर जरूरी इंतजाम करने होंगे. हालांकि, रेल मंत्रालय द्वारा दो मई को ‘श्रमिक’ स्पेशल ट्रेनों के लिए जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि जिस राज्य से प्रवासी चलेंगे उस राज्य को जिस राज्य में प्रवासी लौटना चाहते हैं उसकी सहमति लेनी होगी और ट्रेन के प्रस्थान से पहले इसकी एक प्रति रेलवे को उपलब्ध करानी होगी.

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रुकने और ट्रेनों की समय-सारिणी का फैसला रेल मंत्रालय करेगा

संशोधित एसओपी के मुताबिक गंतव्य और रुकने वाले स्टेशन समेत ट्रेनों की समय-सारिणी पर अंतिम फैसला रेल मंत्रालय करेगा और वह इसकी जानकारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को देगा ताकि ऐसे फंसे हुए मजदूरों को भेजने या लाने के लिए जरूरी प्रबंध किए जा सकें. अधिकारियों ने बताया कि रेल मंत्रालय प्रवासी मजदूरों की सुविधा के लिए विशेष ट्रेनों का ज्यादा स्थानों पर रुकना सुनिश्चित करेगा.

सभी प्रवासी मजदूरों की जांच की जाए

इसमें कहा गया कि ट्रेनों की समय-सारिणी, यात्रियों के प्रवेश और आवाजाही के लिए प्रोटोकॉल, ट्रेन के डिब्बों में दी जाने वाली सेवाएं और टिकट की बुकिंग के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पास मौजूद व्यवस्था का रेल मंत्रालय प्रचार करे. एसओपी में कहा गया कि भेजने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश तथा रेल मंत्रालय सुनिश्चित करे कि सभी यात्रियों की अनिवार्य रूप से जांच की जाए और केवल बिना लक्षण वाले यात्रियों को ही ट्रेन में सवार होने दिया जाए.

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ट्रेन में सफर के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का करना होगा पालन

ट्रेन में सवार होने और सफर के दौरान, सभी यात्रियों को सामाजिक दूरी का ध्यान रखना होगा. एसओपी में कहा गया कि आगमन पर यात्रियों को गंतव्य राज्य या केंद्रशासित प्रदेश द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे एक अलग पत्र में उनसे प्रवासी मजदूरों को लाने-ले जाने के लिए रेलवे के साथ करीबी समन्वय कर और विशेष रेलगाड़ियां चलाने को कहा है.

महिला, बच्चों और बुजुर्गों का रखा जाएगा खास ख्याल 

इसके साथ ही कहा है कि महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाए. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रशासनों को भेजे पत्र में कहा कि फंसे हुए कर्मियों के घर लौटने की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 का खतरा और आजीविका गंवाने की आशंका है. उन्होंने पत्र में कहा, ‘प्रवासी मजदूरों की चिंताओं को दूर करने के क्रम में, अगर निम्न कदमों को लागू किया जाता है तो मैं आभारी रहूंगा.'

विशेष रेलगाड़ियों का किया जाएगा प्रबंध 

गृह सचिव ने सुझाव दिया कि राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के माध्यम से और विशेष रेलगाड़ियों का प्रबंध किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि साफ-सफाई, भोजन एवं स्वास्थ्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ठहरने की जगहों की भी व्यवस्था की जानी चाहिए. भल्ला ने कहा कि बसों एवं ट्रेनों के प्रस्थान के बारे में और अधिक स्पष्टता होनी चाहिए क्योंकि स्पष्टता के अभाव में और अफवाहों के चलते श्रमिकों में बेचैनी देखी गई है.

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प्रवासी श्रमिकों के बीच महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की खास जरूरतों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी पैदल चल रहे मजदूरों को ठहरने के निर्धारित स्थानों पर या परिवहन के माध्यम उपलब्ध कराकर पास के बस अड्डे या रेलवे स्टेशन तक भेज सकते हैं, प्रवासियों के पते एवं फोन नंबर लिखें जो कि आगे संपर्कों का पता लगाने में मददगार साबित हो सकते हैं तथा ठहरने के स्थानों पर एनजीओ के प्रतिनिधियों को काम पर लगाया जा सकता है.

प्रवासियों के परिवहन के लिए बसों की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया

भल्ला ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों या एनजीओ कर्मियों द्वारा ठहरने के स्थान पर लंबे समय तक पृथक-वास के लिए रोके जाने संबंधी धारणा को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. प्रवासियों के परिवहन के लिए बसों की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया. गृह सचिव ने कहा कि इसके अलावा अंतरराज्यीय सीमा पर प्रवासी मजदूरों को ले जा रही बसों को जाने की अनुमति दी जाए, श्रमिक जहां हैं उन्हें वहीं रोकने के लिए खाने, स्वास्थ्य सुविधाओं एवं काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए.

सड़कों या रेल की पटरियों पर पैदल न चलना पड़े

उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रशासनिक अधिकारियों को जहां जरूरत हो, वहां रेलवे से और ट्रेनें चलाने का अनुरोध करने का निर्देश देने को कहा और यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी भी प्रवासी मजदूर को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए सड़कों या रेल की पटरियों पर पैदल न चलना पड़े. गृह सचिव ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने 29 अप्रैल के आदेश का स्मरण करवाया कि पारगमन मार्ग पर पड़ने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रवासी मजदूरों की उन राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों तक आवाजाही को अनुमति देंगे जहां वे जाना चाह रहे होंगे.

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प्रवासी मजदूरों की आवाजाही एक मानवीय संकट बन गई है

भल्ला ने कहा कि स्थिति की सक्रिय निगरानी और समाधान में आपके सहयोग के लिए मैं बहुत आभारी रहूंगा लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की आवाजाही एक मानवीय संकट बन गई है जहां उनमें से हजारों लोग सड़कों और रेल की पटरियों पर पैदल चलते दिख रहे हैं. महाराष्ट्र में मालगा़ड़ी ने ऐसे कम से कम 16 लोगों को कुचल दिया था जबकि देश के विभिन्न हिस्सों में हुए सड़क हादसों में कम से कम 100 ऐसे मजदूरों की जान चली गई है. रेलवे एक मई से अब तक करीब 1,500 ‘श्रमिक’ ट्रेनें चला चुका है और देश के विभिन्न हिस्सों से 17 लाख से अधिक लोगों को अलग-अलग गंतव्य स्थानों तक पहुंचा चुका है.

Source : Bhasha

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