सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति और जनजातियों के संपन्न तबके (क्रीमी लेयर) को आरक्षण से बाहर करने की याचिका पर बुधवार को केंद्र ने अपना जवाब दिया। केन्द्र ने एसटी/ओबीसी के संपन्न तबके (क्रीमी लेयर) को आरक्षण से वंचित करने की संभावना से इंकार करते हुए कहा कि यह पूरा समुदाय ही 'पिछड़ा' है।
केन्द्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी.एस. नरसिम्हा ने सर्वोच्च न्यायालय में यह तर्क दिया।
बता दें कि गैर सरकारी संगठन समता आन्दोलन समिति की ओर से दायर याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की पीठ कर रही है।
नरसिम्हा ने कहा, 'अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं हो सकता।'
उन्होंने कहा कि समूची अनुसूचित जाति और जनजाति इतनी अधिक पिछड़ी हुई हैं कि अन्य पिछड़े वर्गो के मामले में लागू होने वाला संपन्न वर्ग का सिद्धांत इन पर लागू ही नहीं किया जा सकता है।'
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एनजीओ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि संपन्न तबके को आरक्षण के लाभ से बाहर करने का सिद्धांत लागू नहीं होने की वजह से आरक्षण का लाभ पाने के हकदार लोग इससे वंचित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा भी अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की ओर से ही उठाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 4 हफ्ते के भीतर हलउनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने जनहित याचिका के निपटारे के लिए जुलाई के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध कर दिया है।
एनजीओ की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजातियों को मिलने वाला आरक्षण और दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ इन समुदायों में संपन्न तबके की वजह से जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है।
याचिका में दावा किया गया है कि क्रीमीलेयर तबका आरक्षण और सरकारी योजनाओं से मिलने वाले अधिकांश लाभ पर कब्जा कर लेता है और इन समुदायों के 95 फीसदी लोग लाभ से वंचित रह जाते हैं।
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Source : News Nation Bureau