रिजर्व बैंक और सरकार के बीच मतभेद सामने आने के बाद केंद्रीय बैंक बोर्ड की बैठक खत्म हो गई. सोमवार को करीब 9 घंटे तक मैराथन केंद्रीय बैंक बोर्ड की बैठक चली. हालांकि इस बैठक में क्या कुछ निकल कर सामने आया है इसकी कोई अधिकारिक बयान समाने नहीं आए हैं. लेकिन, ऐसे संकेत हैं कि रिजर्व बैंक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों ( MSME) को दिए जाने लोन के नियमों में ढील दे सकती है. बोर्ड ने रिजर्व बैंक को 25 करोड़ रुपए की कुल ऋण सुविधा के साथ छोटे एवं मझोले उद्योगों की दबाव वाली परिसंपत्तियों का पुनर्गठन करने की योजना पर विचार करने का सुझाव दिया.
वहीं, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) को दी जाने वाली अतिरिक्त नकदी पर बात शायद नहीं बन पाई. सूत्रों के मुताबिक आरबीआई ने एनबीएफसी (NBFC) को राहत देने की बात से इनकार किया है. आरबीआई का कहना है कि बैंक ही NBFC यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज को वित्तीय मदद बैंक करें.
इसके साथ ही बैठक में रिजर्व बैंक के पास मौजूद 9.69 लाख करोड़ रुपये के रिजर्व पर भी चर्चा हुई. वित्त मंत्रालय चाहता है कि इस 9.69 लाख करोड़ रुपये के रिजर्व की सीमा को वैश्विक स्तर के हिसाब से कम किया जाना चाहिए. साथ ही इस बैठक में बोर्ड ने आरबीआई से फाइनेंशियल सेक्टर में लिक्विडिटी बढ़ाने को भी कहा है.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सरकार को डिविडेंट बढ़ाने पर विचार ज़रूर हुआ और सहमति भी बनी, लेकिन सरकार को बड़ा डिविडेंट देने से आरबीआई ने इनकार कर दिया है.
वहीं, प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन यानी PCA को नरम करने के फैसले को भी आरबीआई ने इनकार कर दिया. आरबीआई ने साफ कर दिया है कि सरकार जबतक बैंकों में पूंजी नहीं डालती वह पीसीए नियमों में ढील नहीं देगी.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और सभी डेप्युटी गवर्नरों की सरकार की ओर से मनोनीत डायरेक्टरों आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार, इंडिपेंडेंट डायरेक्टर एस गुरुमूर्ति और अन्य के साथ विवादित मुद्दों पर कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए आमने-सामने बातचीत हुई.
बता दें कि सरकार लगातार केंद्रीय बैंक के बोर्ड में अपने नामित सदस्यों के जरिये आरबीआई पर अपनी मांगों पर प्रस्ताव जारी करने का दबाव बना रही है. हालांकि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के रुख को देखकर ऐसा लगता नहीं है.
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ऐसे में सरकार आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 का इस्तेमाल करते हुए आरबीआई को अपनी बात मनवाने के लिए मजबूर कर सकती है. ऐसी स्थिति में पटेल के पास दो ही विकल्प होंगे, या तो वह सरकार की मांगों पर सहमति जता दें या फिर इस्तीफा दे दें.
आपको बता दें कि केंद्र और आरबीआई बोर्ड के बीच हुई इस मीटिंग में मुख्य ब्याज दर, लाभांश का भुगतान, लोन रीस्ट्रक्चरिंग मुद्दा, सरकारी बैंकों का रेग्युलेशन, प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन, पेंमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स ऐक्ट 2007 में संशोधन, आरबीआई बोर्ड में नियुक्तियां, तेल कंपनियों के लिए विशेष डॉलर विंडो, एनबीएफसी में नकदी किल्लत और कैश रिजर्व के मुद्दे पर चर्चा हुई.
Source : News Nation Bureau