सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अनुच्छेद 35A पर सुनवाई हो सकती है. सूत्रों के हवाले से एक बड़ी जानकारी सामने आई है. ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार अनुच्छेद 35A को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई पर मोदी सरकार 35A को अंसवैधानिक बता सकती है. सरकार की तरफ़ से कहा जा सकता है कि बिना संसद की मंज़ूरी के 35 A का प्रावधान किया गया था इसलिये ये असंवैधानिक है. दूसरे विकल्प के तौर पर मोदी सरकार राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा भी 35A को हटाने पर विचार कर रही है.
मालूम हो कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद 14 मई 1954 को धारा 35ए प्रकाश में आया था. इस धारा के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के नागरिकों और उनके विशेषाधिकार को परिभाषित करने की शक्ति मिली थी. यह अनुच्छेद 14 मई 1954 से जम्मू-कश्मीर में लागू है. तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर यह अनुच्छेद पारित हुआ था. सर्वोच्च न्यायालय में इस आर्टिकल की वैधता को चुनौती दी गई है. याचिका में आर्टिकल को रद्द करने की मांग की गई है.
धारा को निरस्त करने की क्यों कर रहे हैं मांग
इस धारा को निरस्त करने की मांग करने वालों का कहना है कि धारा 368 के तहत संविधान संशोधन के लिए नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए इसे संविधान में नहीं जोड़ा गया था. अनुच्छेद 35A , धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा की वजह से कोई भी दूसरे राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बन सकता है.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार ने अलगाववादियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. श्रीनगर और कश्मीर घाटी के अलग-अलग हिस्सों में छापेमारी की गई. छापेमारी में जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के शीर्ष नेतृत्व सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ ही घाटी में तत्काल जरूरत पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की अतिरिक्त 100 कंपनियां तैनात करने का फैसला किया गया है. घाटी में रात भर हुई छापेमारी के दौरान जेआई के प्रमुख अब्दुल हामिद फय्याज सहित दर्जनों नेताओं को हिरासत में लिया गया.
Source : News Nation Bureau