पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में जमा-ए-इस्लामी को बैन कर दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जमात के कई लोगों को गिरफ्तार भी किया. अब केंद्र सरकार की नजर जमात-ए-इस्लामी को मिल रही संपत्ति और दान में मिले रुपयों-पैसों पर है. सूत्रों के अनुसार, जमात की ओर से कश्मीर घाटी में कई सारे स्कूल, मदरसे और मस्जिद को संचालित किया जाता है.
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सूत्रों के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी के पास करीब 4500 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. इस संपत्ति में 400 स्कूल, 350 मस्जिद और एक हजार से अधिक मदरसे शामिल हैं. पाकिस्तान, हुर्रियत कांफ्रेंस के अलावा स्थानीय लोगों के चंदे से ही इन स्कूलों और मदरसों को संचालन किया जा रहा है.
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जमात-ए-इस्लामी काफी लंबे समय से कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की मुहिम भी चला रही है. उसका मानना है कि कश्मीर का विकास भारत के साथ रहकर नहीं हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, घाटी में कार्यरत कई आतंकी संगठन जमात के इन मदरसों व मस्जिदों में पनाह लेते रहे हैं. हालांकि, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जमात के बैंक खातों के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी है. प्रशासन ने कहा है कि इस बारे में जांच की जा रही है कि जमात को कहां से पैसा मिलता है.
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पीडीपी नेता और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार द्वारा सक्रिय संगठन जमात पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले की आलोचना की थी. महबूबा ने कहा था कि सरकार जमात पर प्रतिबंध लगाने से पहले हिंदूवादी संगठनों पर बैन लगाए.
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गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने अलगाववादी समूह जमात-ए-इस्लामी को कथित रूप से राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत को प्रतिबंधित कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंध को लेकर अधिसूचना जारी की गई. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर बैन लगाने के बाद सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है और उनके नेताओं के कई घरों, दफ्तरों और संपत्तियों को सील कर दिया है.
Source : News Nation Bureau