केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच क्या करें और क्या न करें की एक सूची जारी की है. केंद्र की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति को दूसरों से अलग रखना चाहिए, ताकि बीमारी न फैले. इसके साथ ही हैंड सैनिटाइजर या साबुन और पानी से हाथ की सफाई करते रहें. रोगी के पास होने पर मुंह को मास्क से और हाथों को डिस्पोजेबल दस्ताने से ढकें. आसपास के वातावरण को साफ करने के लिए कीटाणु नाशक का उपयोग करें. इसके साथ ही गाइडलाइन में कहा गया है कि किसी व्यक्ति के संक्रमित पाए जाने पर उनके साथ साथ बिस्तर, कपड़े, तौलिये आदि साझा करने से बचें. मरीजों और गैर-संक्रमित व्यक्तियों के गंदे लिनन या लॉन्ड्री को एक साथ न धोएं.
पीड़ित व्यक्तियों ने न करें भेदभाव
केंद्र की गाइडलाइन में कहा गया है कि जिन लोगों में बीमारी के लक्षण दिखते हैं. उन लोगों को किसी तरह से अपमान न करें. इसके साथ ही कहा गया है कि किसी भी अफवाह या गलत सूचना पर विश्वास न करें. इसमें यह भी रेखांकित किया गया कि कोई भी व्यक्ति इस वायरस की जद में आ सकता है. यदि वह किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक या बार-बार संपर्क में रहा हो.
टास्क फोर्स का किया गया गठन
इस बीच, केंद्र सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों की बारीकी से निगरानी करने और बीमारी के प्रसार से निपटने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है. आधिकारिक सूत्रों ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि यह टास्क फोर्स को देश में नैदानिक सुविधाओं के विस्तार और बीमारी के लिए टीकाकरण से संबंधित उभरते रुझानों का पता लगाने के लिए सरकार को मार्गदर्शन भी प्रदान करने के लिए कहा गया है.
डब्ल्यूएचओ ने घोषित कर रखा है महामारी
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय महामारी घोषित किया था. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस है. यानी ऐसा वायरस, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है. जिसमें चेचक के समान लक्षण होते हैं. हालांकि, चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर होते हैं. मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ जाहिर होता है. इससे कई तरह की चिकित्सीय जटिलताएं हो सकती हैं. यह आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक चलने वाली बीमारी है. केंद्र द्वारा जारी 'मंकीपॉक्स रोग के प्रबंधन पर दिशा निर्देश' में कहा गया है कि मानव-से-मानव संचरण मुख्य रूप से बड़ी श्वसन बूंदों के माध्यम से होता है, जिन्हें आमतौर पर लंबे समय तक निकट संपर्क में रहने की वजह से होता है.
Source : News Nation Bureau