क्‍या इस साल बच्‍चों को मिल पाएगी भारी बस्‍ते के बोझ से मुक्‍ित?

इस बारे में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग बच्चों के स्कूलों के बैग और विषयों को पढ़ाने की प्रक्रिया को सुचारू बनायें साथ ही सभी नियमों का पालन करें.

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Deepak Kumar
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स्कूली छात्रों के बस्ते का बोझ कब होगा कम?

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देश के मासूमों पर शिक्षा के नाम पर बढ़ रही स्कूली बैग के बढ़ते बोझ को कम करने को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है. इस फ़ैसले के मुताबिक स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कक्षा के हिसाब से तय होगा. इस बारे में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग बच्चों के स्कूलों के बैग और विषयों को पढ़ाने की प्रक्रिया को सुचारू बनायें साथ ही सभी नियमों का पालन करें.

HRD मंत्रालय ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को होम वर्क न दिया जाए. साथ ही इन सभी बच्चों को गणित और भाषा के अलावा कोई अन्य पुस्तके न पढ़ाई जाए. जबकि तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए एनसीईआरटी की ईवीएस और गणित पढ़ायी जाए. उसके साथ ही सभी विद्यार्थियों से अतिरिक्त पुस्तकें और अन्य मैटेरियल न मंगवाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं.

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का यह है निर्देश

  • पहली कक्षा से लेकर दूसरी कक्षा तक के बच्चों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम होना चाहिए.
  • तीसरी कक्षा से लेकर पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के बैग का वजन 2 से 3 किलोग्राम होना चाहिए.
  • छठी कक्षा से लेकर सातवीं कक्षा तक के बच्चों के बैग का वजन 4 किलोग्राम होना चाहिए.
  • आठवीं और नौवीं कक्षा तक के बच्चों के बैग का वजन 4.5 किलोग्राम होना चाहिए.
  • दसवीं कक्षा के बच्चों के बैग का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए.
  • इसके साथ सभी बच्चों को अतिरिक्त पुस्तक पढ़ाने पर भी रोक लगाना जरूरी.

गौरतलब है कि प्रतिस्पर्द्धा की होड़ में कई प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को अतिरिक्त पुस्तकें भी पढ़ाई जाती है. इस वजह से मासूम बच्चों को आवश्यकता से अधिक बोझ उठाना पड़ता है. यूपीए सरकार के दौरान भी केंद्रीय विद्यालयों में बच्चो के बैग के वजन को कम करने के लिए नियम लागू किए गए थे लेकिन यह प्रक्रिया कुछ समय तक ही चल पाई. हालांकि केंद्रीय विद्यालयों में प्राइवेट स्कूलों की तुलना में बच्चो के बैग का भार कम है.

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ऐसे में यह ज़रूरी है कि सभी प्राइवेट स्कूलों में अतिरिक्त पुस्तकों को पढ़ाने पर रोक लगाई जाए लेकिन सवाल यही कि क्या अभी भी लागू हो पाएगा?

Source : News Nation Bureau

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