केंद्र सरकार (Centre Government) दया याचिका खारिज होने पर 14 दिन में ही फांसी हो की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची गई है. निर्भया के गुनाहगारों की फांसी की सजा के अमल में हो रही देरी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने फांसी की सजा पाए दोषियों के कानूनी राहत के अधिकार को लेकर 2014 के शत्रुघ्न चौहान जजमेंट में दी गई व्यवस्था में बदलाव की मांग की है. केंद्र सरकार ने मांग की है कि फांसी की सजा पाए दोषियों की पुनर्विचार अर्जी खारिज होने के बाद क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के लिए उन्हें एक निश्चित समय सीमा ही मिलनी चाहिए.
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सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि अगर कोई दोषी दया याचिका दाखिल करना चाहता है तो ये साफ होना चाहिए कि निचली अदालत द्वारा डेथ वारंट जारी होने के सात दिनों के अंदर ही उसे दया याचिका दायर करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट अदालतों, राज्य सरकारों और जेल अधिकारियों को निर्देश दे कि दया याचिका खारिज होने के 7 दिनों के अंदर डेथ वारंट जारी किया जाए और इसके अगले सात दिनों के अंदर फांसी की सजा पर अमल हो भले ही अपराध में शामिल बाकी दोषी की याचिका ( रिव्यू, क्यूरेटिव, दया याचिका) किसी भी स्टेज पर हो.
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बता दें कि निर्भया गैंग रेप मामले के दोषियों को फांसी देने के लिए नया डेथ वारंट जारी किया गया है. दोषियों को अब एक फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी कर दिया है. शुक्रवार को ही दोषी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी थी. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में नया डेथ वारंट जारी किया. कानून दोषी की दया याचिका खारिज होने के बाद उसे 14 दिन का समय दिया जाता है. शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील इरफान ने कोर्ट को बताया गया है कि राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर दी है, लिहाजा कोर्ट नया डेथ वारंट जारी किया जाए. वकील ने कहा कि ऐसी सूरत में दोषी मुकेश की ओर से दायर अर्जी का अब कोई औचित्य नहीं रह जाता क्योंकि राष्ट्रपति दया अर्जी खारिज कर चुके हैं.
Source : Arvind Singh