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केंद्र ने SC में समलैंगिक विवाह का किया विरोध, 'भारतीय परिवार अवधारणा' का दिया हवाला

शादी की धारणा अनिवार्य रूप से विपरीत लिंग के दो लोगों के मिलन को पूर्व निर्धारित करती है. यह परिभाषा सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी रूप से शादी के मूल विचार में है.

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Nihar Saxena
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SC

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता पर सोमवार को होगी सुनवाई.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

केंद्र ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर कर भारत में समलैंगिक विवाहों की कानूनी मान्यता का विरोध किया है. भारतीय परिवारों की अवधारणा का हवाला देते हुए केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध अलग किस्म के हैं. रिश्तों की श्रेणी में इसे समान रूप से नहीं माना जा सकता है. केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा, 'शादी की धारणा अनिवार्य रूप से विपरीत लिंग के दो लोगों के मिलन को पूर्व निर्धारित करती है. यह परिभाषा सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी रूप से शादी के मूल विचार में है. ऐसे में शादी की अवधारणा को बाधित नहीं करते हुए न्यायिक व्याख्या से इसे कमजोर नहीं करना चाहिए. कानूनी तौर पर शादी स्त्री-पुरुष विवाह यानी पति-पत्नी पर केंद्रित है.'

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सोमवार को है समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम सुनवाई

केंद्र ने कहा कि समान-सेक्स विवाहों की कानूनी मान्यता के परिणामस्वरूप मौजूदा और संहिताबद्ध कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन होता है, जिसमें 'शादी की शर्तें', 'औपचारिक और अनुष्ठान संबंधी आवश्यकताएं', 'प्रतिबंधित रिश्ते की डिग्री' शामिल हैं. समलैंगिक विवाह एक पति, एक पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ तुलनीय नहीं हैं. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट 13 मार्च, सोमवार को समान-सेक्स विवाह के लिए कानूनी मान्यता की मांग करने वाली दलीलों पर सुनवाई करने वाला है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच इसकी सुनवाई करेगी.

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समलैंगिक विवाह पर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने एक में मिलाया

शीर्ष अदालत ने 6 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था. शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को कहा था कि वह उच्च न्यायालयों में लंबित समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने की याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर छह जनवरी को सुनवाई करेगी. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 दिसंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के निर्देश के लिए लंबित याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी.

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समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाली पीठ के सदस्य थे सीजेआई

इससे पहले पिछले साल 25 नवंबर को शीर्ष अदालत ने दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा शादी के अपने अधिकार को लागू करने और विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग करने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने पिछले साल नवंबर में केंद्र को एक नोटिस जारी किया था. इसके अलावा याचिकाओं से निपटने में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि की सहायता मांगी थी. गौरतलब है कि सीजेआई चंद्रचूड़ उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 2018 में सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था.

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HIGHLIGHTS

  • समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता पर सोमवार को सर्वोच्च सुनवाई
  • सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह पर केंद्र सरकार से मांगी थी प्रतिक्रिया
Gay Marriages Supreme Court समलैंगिक विवाह सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार Oppose Same Sex Centre
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