नए कृषि कानूनों (Farmer Protest) के विरोध में किसानों का आदोलन 74वें दिन में प्रवेश कर गया है. सयुंक्त किसान मोर्चे के चक्का जाम (Chakka Jam) के आह्वान को शनिवार को देशभर में समर्थन मिला. कल ससंद में कृषि मंत्री द्वारा यह देशभर के किसानों के संघर्ष का अपमान किया गया कि केवल एक राज्य के किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. परंतु देशव्यापी चक्का जाम ने एक बार फिर साबित किया कि देशभर के किसान इन कानूनों के खिलाफ एकजुट है. किसान पूरी तरह शांतमयी और अहिंसक रहे.
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व बिहार में चक्का जाम का कार्यक्रम पूर्णतः सफल रहा. चंपारन, पूर्णिया, भोजपुर, कटिहार समेत सम्पूर्ण क्षेत्र में किसानों द्वारा चक्का जाम किया गया. मध्य प्रदेश में 200 से ज्यादा जगहों पर किसान एकजुट हुए. महराष्ट्र में वर्धा, पुणे व नासिक समेत अनेक जगहों पर किसानों ने चक्का जाम का नेतृत्व किया. चक्का जाम की सफलता आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल व तमिलनाडु में भी देखने को मिली. कर्नाटक में बेंगलोर व 25 जिलों में किसानों का यह कार्यक्रम सफल रहा. पंजाब व हरियाणा में किसान, मजदूर, छात्र संगठनों ने आगे आते हुए सैंकड़ों सड़कें जाम कीं. राजस्थान में पीलीबंगा, बींझबायला, उदयपुर समेत दर्जनों जगह किसानों ने सड़कें जाम कीं. ओडिशा के भुवनेश्वर समेत कई जगह किसानों ने शांतमयी चक्का जाम किया. हम बागपत के 150 प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस द्वारा गए नोटिस की निंदा करते हैं.
सयुंक्त किसान मोर्चा की अब तक की जानकारी के अनुसार 127 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है वहीं 25 व्यक्ति लापता हैं. अब तक संकलित जानकारी के अनुसार इस आंदोलन में 204 आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है, परंतु सरकार अभी भी किसानों के दर्द को अनदेखा कर रही है. बलविंदर सिंह जो कि पिछले दिनों ही किसान आंदोलन में शहीद हुए हैं, उनकी मां और भाई पर तिरंगे के अपमान संबधी पुलिस केस दर्ज किया गया है. सयुंक्त किसान मोर्चा तुरंत केस वापस करने की मांग करता है और किसान परिवार को हरसंभव सहायता देने की घोषणा करता है.
सरकार और असामाजिक तत्त्वों की तमाम साजिशों के बावजूद सयुंक्त किसान मोर्चा तीनों कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और MSP की कानूनी गारंटी की मांग पर कायम है. हम देश विदेश से किसान आंदोलन को मिल रहे समर्थन पर हम सभी का आभार व्यक्त करते हैं. किसान कई महीनों से ये आंदोलन कर रहे हैं, अनेक किसान शहीद हो गए हैं. यह शर्म की बात है कि सरकार के इशारे पर कुछ लोग आंतरिक मामला बताकर इस आंदोलन को दबाना चाहते हैं परंतु यह समझना जरूरी ही कि लोकतंत्र में लोक बड़े होते है न कि तंत्र.
HIGHLIGHTS
- किसानों का आदोलन 74वें दिन में प्रवेश
- सयुंक्त किसान मोर्चा का बड़ा बयान
- सफल रहा देशव्यापी चक्का जाम
Source : News Nation Bureau