केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में बिजली का संकट दूर हो गया है. बिजली कर्मियों के हड़ताल पर जाने की वजह से पूरे चंडीगढ़ में 'ब्लैकआउट' की समस्या उत्पन्न हो गई थी, जिससे निपटने के लिए उप राज्यपाल को भारतीय सेना की मदद लेनी पड़ी थी. हालांकि अब बिजली कर्मी हड़ताल से वापस लौट आए हैं और बिजली की वजह से होने जा रही 'ब्लैकआउट' की समस्या को सुलझा लिया गया है. इससे निपटने भारतीय सेना आगे आई थी. इंजीनियरों के साथ भारतीय सेना के करीब 100 से अधिक जवान जुटे हुए थे. भारतीय सेना का कहना था कि लगभग 80 पावर सेंटर को बहाल कर दिया गया है.
दिल्ली, जालंधर और अन्य जगहों से सेना की टीमें
चंडीगढ़ में बिजली व्यवस्था को बहाल करने के लिए सेना ने दिल्ली, जालंधर और अन्य जगहों से टीमों को बुलाया था. जम्मू के बाद यह दूसरी बार है, जब इस तरह की स्थिति में सेना को आगे आना पड़ा. बता दें कि बिजली विभाग के कई कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे जिसके चलते चंडीगढ़ में बिजली का संकट गहरा गया था.
बिजली विभाग के प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ हड़ताल
बिजली विभाग के प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ 21 फरवरी को बिजली कर्मी अचानक हड़ताल पर चले गए थे. इसके चलते चंडीगढ़ को ब्लैकआउट का सामना करना पड़ रहा था. बिजली न होने के कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं को सामना कर पड़ रहा है. दरअसल, सोमवार को अचानक बिजली कर्मी 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए. बिजली कर्मियों की ये हड़ताल केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण की फाइल को क्लीयर कर बिजली का काम निजी कंपनी एमीनेंट को देने के खिलाफ थी. यूनियन का आरोप है कि प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर बिजली विभाग का निजीकरण किया है. कर्मचारी इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे. इस बीच, लोगों की परेशानियों को देखते हुए प्रशासन ने बिजली विभाग के कर्मचारियों के लिए पूर्वी पंजाब एस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) 1968 लागू कर दिया. इसके तहत छह माह तक बिजली विभाग के कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकेंगे.
HIGHLIGHTS
- सेना ने चंडीगढ़ से ब्लैकआउट से बचाया
- प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ हड़ताल पर गए थे कर्मचारी
- प्रशासन ने एस्मा लगाया, 6 महीने तक नहीं हो सकेगी हड़ताल
Source : News Nation Bureau