भारत के चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने अपने तय समय पर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रच दिया है. अब इसके मिशन पर अगला चरण शुरू होने वाला है. चंद्रयान का विक्रम सतह पर लैंड होने के बाद कई काम करेगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन को तीन प्रमुख हिस्से में बांटा गया है. सबसे पहला भाग प्रोप्लशन मॉड्यूल है जो लैंडर को चांद की कक्षा तक पहुंचा. इससे बाद विक्रम अलग हो गया. लैंडर विक्रम के साथ रोवर प्रज्ञान को भेजा गया था. अब लैंडर विक्रम ने चांद पर सफलतापूर्वक उतरकर मिशन का पहला पड़ाव निकाल दिया है.
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तीसरे पड़ाव में अब रोवर लैंडर से अलग हो गया है. यह चांद की सतह पर घूमकर कई तरह की जानकारियां निकालेगा. फोटो के साथ डेटा भी भेजेगा. अब रोवर प्रज्ञान पर निगाहें टिकी हुई हैं. भारत दुनिया का पहला ऐसा देश होगा, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर लैंडिंग कराई है. यहां पर रोवर प्रज्ञान कई प्रकार की जांच करेगा. इसके साथ संभावनाएं तलाश करेगा. यहां की मिट्टी के साथ धरती में मौजूद खनिज पदार्थ और सबसे अधिक पानी होने की संभावनाएं को खोजेगा.
दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का पता लगाने की कोशिश
दरअसल, चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में पर्यावरण और यहां की परिस्थितियां अगल हैं. इसके बारे में अभी तक पता नहीं चला है. चंद्रमा पर पहुंचने वाले बीते सभी अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र में पहुंचे हैं. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का पता लगाने की कोशिश हो रही है. इसके आसपास के इलाकों में पानी की मौजूदगी की संभावना बनी हुई है.
14 जुलाई को लॉन्च किया था चंद्रयान-3
भारत का चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. इसके बाद 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. इसके बाद 17 अगस्त को चंद्रयान के दोनों मॉड्यूल ऑर्बिटर और लैंडर से अलग हुआ. इसके बाद लैंडर विक्रम को चंद्रमा के करीब लाने का प्रयास किया गया.
Source : News Nation Bureau