चंद्रयान-3 के जरिए भारत एक महान सफलता पाने की ओर है. भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी पैंठ बढ़ाने जा रहा है. 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भेजा गया चंद्रयान करीब 24 अगस्त तक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है. इस मिशन को पूरा करने में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश भी हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं. चंद्रयान-3 उस क्षेत्र में लैंड होकर चंद्रमा के अंदर छुपे राज को खोलने वाला है. भारत इस सफलता को अगर हासिल कर लेता है तो वह ऐसा करने वाला पहला देश होने वाला है.
विश्व भर में अब तक 11 ही देश हैं, जिन्होंने मून मिशन पर अपने यान भेजे हैं. मगर इनमें से केवल अमेरिका, रूस, चीन ही ऐसा देश होगा जो चांद की सतह पर लैंड कर पाया. चंद्रयान-3 एक जटिल प्रोजेक्ट है. चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिण ध्रुव के नजदीक उतारा जाएगा. यहां पर सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती है. इसकी खास बात यह है कि यहां का तापमान माइनस से 200 डिग्री सेल्सियस या उससे भी कम हो जाता है.
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ISRO चीफ डॉ. एस सोमनाथ के अनुसार, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब स्थित मैंजिनस-यू क्रेटर के नजदीक चंद्रयान-3 को भेज रहा है. चंद्रयान-3 को दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतारा जा रहा है. इसे केवल दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतारा जा रहा है. इसकी खास वजह से है, इसका जटिल तापमान. वहां रोशनी भी ज्यादा नहीं होती है. इन मुश्किलों से ISRO पहले से ही सतर्क है.
आपको बता दें कि चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर सौर उर्जा से चलने वाला है. यही कारण है कि उसे दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतारा गया है. इसकी वजह है कि अगर चंद्रयान को यहां पर उतारा तो उसे सूरज की रोशनी नहीं मिल सकेगी. यह मिशन फेल हो सकता है. यही वजह है कि चंद्रयान को दक्षिण ध्रुव के नजदीक उतारा गया है. ऐसे दुर्गम जगह पर मून मिशन को लैंड कराने कोई भी देश हिम्मत नहीं जुटा पाया है.