Chandrayaan 3 Team: चंद्रयान-3 ने आज चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैडिंग कर इतिहास रच दिया. भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन चुका है. इस मिशन पर नासा से लेकर यूरोपियन स्पेस एजेंसी की नजरें टिकी हुईं थीं. मिशन को लेकर सालों से इसरो लगा हुआ था. चंद्रयान-2 की विफलता के बाद टीम लगातार अगले मिशन की तैयारी में जुटी हुई थी. इसरो चीफ डॉ.एस. सोमनाथ की अगुवाई में काम करने वाली टीम ने मिशन को ऐसे पड़ाव तक पहुंचा दिया, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें थीं. चंद्रयान-3 की तैयारी पूरे 3 साल 9 महीने 14 तक चली. इसकी सफलता के पीछे टीम के कई सदस्यों का हाथ है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इसके पीछे किन-किन का हाथ रहा.
डॉ.एस सोमनाथ ने रॉकेट को डिजाइन किया
डॉ.एस सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष होने के साथ इस मिशन की अगुवाई कर रहे थे. उन्होंने इस मिशन के उस बाहुबली रॉकेट को लॉन्च व्हीकल 3 को डिजाइन किया. इसकी सहायता से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था. भारत का यह तीसरा मून मिशन है. उनकी पढ़ाई
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु से हुई. सोमनाथ को मिशन की जिम्मेदारी बीत साल जनवरी में मिली. इनकी अगुवाई में इस मिशन ने सफलता के झंडे गाड़ दिए.
पी वीरमुथुवेल ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में कमान संभाली
पी वीरमुथुवेल ने बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर इस मिशन की कमान संभाली. उन्हें 2019 में मिशन चंद्रयान का जिम्मा मिला था. पी वीरमुथुवेल इससे पहले इसरो के हेड ऑफिस में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक रह चुके हैं. इसरो के दूसरे मून मिशन में भी ये शामिल रहे हैं. ये आईआईटी मद्रास से पास आउट हैं.
एस उन्नीकृष्णन नायर ने चंद्रयान-2 की असफलता से सबक लिया
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के डायरेक्टर और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ. उन्नीकृष्णन के पास चंद्रयान-3 से जुड़ी अहम जिम्मेदारी थी. इस मिशन को लेकर रॉकेट के डेवलपमेंट से लेकर निर्माण की अहम जिम्मेदारी निभाई. उनकी पढ़ाई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से हुई. डॉ. उन्नीकृष्णन ने चंद्रयान-2 की असफलता के बाद इसकी कमियों को समझने के बाद रणनीति पर काम किया.
एम शंकरन: सैटेलाइट को तैयार करने के साथ इसे डिजाइन का लिया जिम्मा
यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के डायरेक्टर एम शंकरन हैं. इस संस्थान के पास इसरो के सैटेलाइट को तैयार करने के साथ इसके डिजाइन की जिम्मेदारी है. शंकरन की अगुवाई में टीम सैटेलाइट के कम्युनिकेशन, नेविगेशन, रिमोट वर्किंग, मौसम की भविष्यवाणी के साथ ग्रहों की खोज को लेकर अपना रोल अदा कर रही थी. एम शंकरन ने 1986 में भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली से फिजिक्स में मास्टर की डिग्री ली है.
URSC की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं डॉ के कल्पना
चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रही हैं डॉ. के. कल्पना. वह लंबे वक्त से इसरो के मून मिशन पर काम कर रही हैं. कोविड महामारी के वक्त भी उन्होंने इस मिशन का काम रोका नहीं. वे इस प्रोजेक्ट को लेकर बीते 4 साल से काम में जुटी हैं. इस समय URSC की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं डॉ. के. कल्पना.
Source : News Nation Bureau