23 तारीख को चंद्रयान-3 चांद पर पहुंचा था. विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा.. जिसमें से निकले प्रज्ञान रोवर ने पिछले 7 दिनों में काफी कुछ तलाश किया. इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि अब तक चांद की सतह पर क्या कुछ मिला है? क्या वहां इंसानी बस्ती मिली है? क्या वहां एलियन मिले हैं? या फिर वहां सोना मिला है? और क्या वहां पानी मिला है? दरअसल प्रज्ञान रोवर को बेशक खोजबीन करते हुए सात दिन हो गए हैं, लेकिन चांद के हिसाब से उसे अभी केवल आधा दिन ही हुआ है. अभी उसके पास आधा दिन और बचा है. यानी अब चंद्रयान के पास. पृथ्वी के हिसाब से करीब 7 दिन और बचे हैं.
चंद्रयान केवल 14 दिनों तक ही डेटा भेज पाएगा. इसके बाद चांद पर रात हो जाएगी. चांद की रात बहुत ठंडी होगी. तापमान माइनस में 180 से 200 तक पहुंच जाएगा. ऐसे में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों ही काम नहीं कर पाएंगे, लेकिन क्या इसके बाद जब चांद पर फिर से सूरज निकलेगा, तब ये काम करेंगे? शायद नहीं, लेकिन ऐसा हो भी सकता है. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने खुद भी कहा था कि लेकिन रोवर चांद पर अगले दिन भी काम कर पाता है तो वाकई बहुत अच्छी बात होगी.
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चांद पर ऑक्सीजन की मौजूदगी
चलिए अब आपको बताते हैं कि चांद पर अभी तक क्या कुछ मिल पाया है.. वैसे तो अभी तक प्रज्ञान ने कई तस्वीरें और वीडियो भेजे हैं. ये सभी उस इलाके के हैं जहां के वीडियो और तस्वीरें पहले से इंसान के पास नहीं थे. यानी प्रज्ञान रोवर ने जो कुछ भी पता किया है वो पूरी तरह से एक नई जानकारी है. वीडियो और तस्वीरों के अलावा भी प्रज्ञान ने बहुत कुछ हासिल किया है.. कुछ ऐसा पता किया है जिससे से संभावना बढ़ गई है शायद आने वाले वक्त में चांद पर इंसानी बस्ती का सपना पूरा हो सकता है.
चांद पर पज्ञान रोवर ने जो सबसे बड़ी खोज की है वो ऑक्सीजन की है.. 29 अगस्त की रात प्रज्ञान रोवर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव वाले इलाके पर ऑक्सीजन की खोज की. दरअसल प्रज्ञान पर लगे LIBS पेलोड ने ये काम किया. इस यंत्र का काम ही है चांद की सतह पर मौजूद खनिजों और रसायनों का पता लगाना.. चांद पर और भी बहुत कुछ मिला है. वो भी आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले नजर डालिए इस टाइमलाइन पर.
23 अगस्त से 30 अगस्त तक की टाइमलाइन
23 तारीख को विक्रम लैंडर ने चांद की एक तस्वीर भेजी थी. ये लैंडिंग साइट की तस्वीर थी.
24 तारीख को इसरो ने बताया था कि प्रज्ञान रोवर अब लैंडर से बाहर निकल चुका है और सभी पेलोड भी चालू कर दिए गए हैं.
25 अगस्त को इसरो से एक वीडियो शेयर किया था जिसमें प्रज्ञान को लैंडर से बाहर निकलते हुए दिखाया गया था. इसरो ने बताया था कि रोवर ने करीब 8 मीटर की दूरी तय की है.
26 अगस्त को इसरो ने वैज्ञानिक प्रयोग शरु कर दिए थे. और सभी पेलोड के सामान्य रूप से काम करने की घोषणा की गई थी.
27 अगस्त को इसरो ने चांद के तापमान की जानकारी दी. चांद की सतह पर तापमान 40 से 70 डिग्री सेंटीग्रेड तक निकला. हालांकि सतह के भीतर ये तापमान माइनस 10 तक था.
28 अगस्त को इसरो ने बताया कि रोवर एक बड़े गड्ढे के पास पहुंच गया था जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया.
29 अगस्त को प्रज्ञान ने चांद पर ऑक्सीजन समेत कई और कई पदार्थों की तलाश की.
अब प्रज्ञान हाइड्रोजन की तलाश कर रहा है ताकि भविष्य में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को मिलाकर पानी बनाने के संभावनाओं को तलाशा जा सके.
चांद पर सल्फर मिला है, एल्यूमीनियम मिला है, कैल्शियम मिला है, लोहा मिला है, क्रोमियम और टाइटेनियम मिला है.साथ में मैगनीज और सिलिकॉन मिला है.
चार पेलोड इस मिशन में महत्वपूर्ण
दरअसल जो चार पेलोड इस मिशन में इस्तेमाल किए जा रहे हैं वो बहुत महत्वपूर्ण हैं. इनमें से रंभा पेलोड चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व और मात्रा की जांच करेगा. चास्टे पेलोड चांद की सतह पर तापमान की जांच करेगा. इल्सा पेलोड लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा.और LRA पेलोड चांद के डायनेमिक्स को समझने की कोशिश करेगा.
यही चारों पेलोड इसरो को बताएंगे कि चांद पर इंसान को बसाने के सपना पूरा हो पाएगा कि नहीं.. हां, आपको ये जरूर बता दें कि चांद पर न तो अभी तक सोना मिला है और ना ही कोई एलियन और न ही इंसानों की कोई बस्ती. लेकिन जो पदार्थ अभी तक मिले हैं, उनका सही इस्तेमाल कर भविष्य में इंसानों को चांद पर जरूर बसाया जा सकेगा.. लेकिन ये काम इतना आसान नहीं है.. हां, इसे नामुमकिन भी नहीं कहा जा सकता.. और हो सकता है कि अगले सात दिनों में प्रज्ञान चांद पर ऐसा कुछ खोज ले जो इस काम को और आसान बना दें.
वरुण कुमार की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau