20 साल बाद LOC पर बदलाव, बिना डर खेतों में फसल उगा रहे कश्मीरी किसान

पिछले कुछ वर्षों से बीएसएफ की निगरानी में कुछ क्षेत्रों में खेती शुरू की गई थी. किसानों को तारबंदी के आगे बंजर पड़ी जमीन पर खेती करने का मौका मिला था. गोलीबारी के डर एवं पानी के अभाव में पहले किसानों ने यहां खेती करना छोड़ दी थी.

author-image
Vijay Shankar
New Update
Farmer works near LOC

Farmer works near LOC ( Photo Credit : Twitter)

Advertisment

आर्टिकल 370 (Article 370) समाप्त होने के बाद कश्मीर (Kashmir) में बदलाव साफ देखा जा रहा है. कश्मीर की खुशहाली के लिए भारत सरकार भी पूरी तरह प्रयासरत है. इस बीच 20 से अधिक वर्षों के बाद राजौरी और पुंछ जिलों में नियंत्रण रेखा (LOC) के पास स्थित कृषि क्षेत्रों में खेती का पूरा मौसम देखा जा रहा है. फायरिंग और गोलाबारी के डर के बिना किसान खेतों में अपने कृषि कार्य करते देखे जा रहे हैं. हालांकि इसकी प्रमुख वजह भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच इस साल 26 फरवरी को संघर्ष विराम समझौते की घोषणा है जहां पिछले नौ महीनों से एलओसी पर माहौल शांतिपूर्ण है. संघर्ष विराम समझौते के बाद नियंत्रण रेखा पर शांतिपूर्ण स्थिति बनी हुई है और संघर्ष विराम उल्लंघन की एक भी घटना की सूचना नहीं मिली है. हालांकि कुछ घुसपैठ के प्रयास और अन्य आतंकी हमले जरूर हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान अब बिना डर के खेतों में फसल उगा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : Jammu Kashmir:गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी से निकाला..जानें क्या रही वजह

एलओसी के साथ स्थित कृषि क्षेत्र में किसान विभिन्न तरह के फसल उगा रहे हैं. एलओसी के किनारे रहने वाले किसानों ने कहा कि पहले फायरिंग और गोलाबारी की लगातार धमकी के कारण उनका कृषि कार्य सीमित रहता था, लेकिन अब वे बिना किसी डर के अपनी कृषि गतिविधियों को अंजाम देने में सक्षम हैं. मुहम्मद रशीद ने कहा, हमें उन वर्षों की याद है जब क्षेत्र से कोई भी खेत में काम करने के लिए नहीं जा सकता था और हमारे क्षेत्र के किसान खेतों में बीज बोने में सक्षम नहीं थे.
 
डर की वजह से नहीं करते थे खेती

19 साल के रिजवान ने लाम इलाके में खेतों में काम करते हुए कहा कि नियंत्रण रेखा पर शांतिपूर्ण स्थिति उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है. हमारे गांव में कृषि क्षेत्र उपजाऊ हैं और बड़े पैमाने पर कृषि उत्पादन का समर्थन करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन किसान अतीत में अपने खेतों में स्वतंत्र रूप से काम करने में सक्षम नहीं थे. इस साल चीजें बदल गई हैं और वे अब बिना किसी डर के खेतों में काम करने में सक्षम हैं.” पूर्व में एलओसी पर गोलीबारी और गोलाबारी में कई किसान मारे गए और घायल हुए थे, जिसकी वजह से वहां के किसान खेती करने से डरते थे. 

बीएसएफ कर रही निगरानी

पिछले कुछ वर्षों से बीएसएफ की निगरानी में कुछ क्षेत्रों में खेती शुरू की गई थी. किसानों को तारबंदी के आगे बंजर पड़ी जमीन पर खेती करने का मौका मिला था. गोलीबारी के डर एवं पानी के अभाव में पहले किसानों ने यहां खेती करना छोड़ दी थी. वर्ष 2002 में तनावपूर्ण हालात के बाद से तारबंदी के आगे खेती का काम बंद पड़ा हुआ था.

HIGHLIGHTS

  • संघर्ष विराम समझौते के बाद नियंत्रण रेखा पर शांतिपूर्ण स्थिति
  • फायरिंग और गोलाबारी के डर के बिना किसान कर रहे हैं खेती
  • आर्टिकल 370 समाप्त होने के बाद कश्मीर में देखा जा रहा बदलाव
INDIA srinagar भारत किसान farmers LOC kashmir BSF कश्मीर एलओसी फसल श्रीनगर बीएसएफ LOC after 20 years crops
Advertisment
Advertisment
Advertisment