सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो पत्र लिखे हैं. एक में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया है. दूसरे में हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट आयु को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का सुझाव दिया है. उन्होंने अदालतों में कई सालों से लंबित हजारों केसों का हवाला देते हुए पत्र लिखा है. यही नहीं, चीफ जस्टिस ने पत्र में पीएम मोदी से फिर मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों की नियुक्ति का प्रावधान किया जाए. इससे लंबे समय से लंबित मामलों का निपटारा जल्द करने में मदद मिलेगी.
यह भी पढ़ेंः Budget 2019: बजट से पहले PM नरेंद्र मोदी अर्थशास्त्रियों से करेंगे आर्थिक हालात पर चर्चा
आखिरी बार 2009 में बढ़ी थी जजों की संख्या
गौरतलब है कि अभी सुप्रीम कोर्ट में 31 जजों के पद स्वीकृत हैं और इतने ही हैं भी. ऐसे में चीफ जस्टिस ने पत्र में कहा है कि 1988 में जजों की संख्या को 18 से बढ़ाकर 26 किया गया था, फिर तीन दशक बाद 2009 में यह संख्या 31 की गई. अब केसों की बढ़ते अनुपात को देखते हुए जजों की संख्या बढ़नी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया है कि 2007 में जहां 41,078 केस लंबित थे, वहीं अब यह आंकड़ा 58,669 तक पहुंच गया है.
यह भी पढ़ेंः दिल्ली में 3 बच्चों और पत्नी की गला रेतकर हत्या, ट्यूशन टीचर ने इसलिए वारदात को दिया था अंजाम
25 साल से लंबित हैं 26 मामले
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी देश भर के उच्च न्यायालयों में करीब 44 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 58,700 मामले लंबित हैं. हर गुजरते साल के साथ यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि बड़ी संख्या में नए मामले दर्ज हो रहे हैं. पत्र में लिखा कि 26 ऐसे मामले हैं, जो बीते 25 सालों से लंबित हैं. 100 ऐसे मामले हैं, जो 20 वर्षों से और 593 केस 15 सालों से लंबित हैं और 10 सालों से 4,977 केस सर्वोच्च अदालत में हैं.
HIGHLIGHTS
- देश भर के उच्च न्यायालयों में 44 लाख, सुप्रीम कोर्ट में 58,700 मामले लंबित.
- हर साल बढ़ती जा रही अदालतों में लंबित मामलों की संख्या.
- प्रधानमंत्री से जजों की संख्या बढ़ाने और रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने की मांग