महाराष्ट्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पीड़ित नाबालिग बच्चों की पहचान उजागर करने के मामले में नोटिस भेजा है।
आयोग ने राहुल गांधी के अलावा ट्विटर को भी यह नोटिस जारी किया है।
मुंबई के एक निवासी अमोल जाधव ने राहुल गांधी और ट्विटर के खिलाफ इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी।
आयोग के अध्यक्ष प्रवीण घुगे ने कहा कि आयोग ने राहुल गांधी और ट्विटर से जवाब मांगा है कि उनके खिलाफ जुवेलाइल जस्टिस एक्ट 2005 और यौन अपराध बाल संरक्षण कानून 2012 के तहत क्यों नहीं कार्रवाई करनी चाहिए।
इन दोनों कानून के तहत नाबालिग पीड़ित बच्चों की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है। आयोग ने 10 दिन के अंदर राहुल गांधी और ट्विटर से जवाब मांगा है।
प्रवीण घुगे ने कहा, 'मैंने राहुल गांधी और ट्विटर को नोटिस जारी किया है क्योंकि उन्होंने पीड़ितों की पहचान उजागर की है।'
क्या है मामला
महाराष्ट्र के जलगांव में बीते 10 जून को तीन नाबालिग दलित लड़कों को कथित तौर पर गांव के तालाब में नहाने को लेकर पीटा गया था और गांव में निर्वस्त्र घुमाया गया था।
तालाब में नहाने की जानकारी के बाद कथित उच्च जातियों के लोगों ने इन बच्चों को पीटा था। इन बच्चों की उम्र 12-14 साल बताई गई थी।
राहुल गांधी ने ट्विटर पर इस घटना की निंदा करते हुए नाबालिग बच्चों के साथ हुई मारपीट का वीडियो शेयर किया था। जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई।
राहुल गांधी ने पिछड़े वर्गों के खिलाफ बढ़ रही ऐसी घटनाओं के लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था।
वीडियो में लड़कों को केवल चप्पल पहने और कुछ पेड़ के पत्ते पहने हुए देखा जा सकता है। वीडियों में ये लड़के एक व्यक्ति द्वारा उनके पैरों व पिछले भाग पर छड़ी से मारने पर विरोध जता रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने नोटिस को बताया बकवास
वहीं आयोग की ओर से जारी की इस नोटिस को मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरुपम ने बकवास बताया।
उन्होंने कहा, 'नोटिस और कुछ नहीं, बकवास है। नोटिस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भेजना चाहिए जो बच्चों के अधिकारों और गरिमा को बचाने में नाकाम रहे हैं। राहुल गांधी ने इस मामले में माफी मांग ली है।'
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Source : News Nation Bureau