चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि लगभग 100 चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसकर एक पुल को क्षतिग्रस्त कर वापस अपने सीमा के अंदर लौट गए. सूत्रों के अनुसार, चीन के सैनिकों ने उत्तराखंड के बाराहोटी इलाके में घुसपैठ कर इस घटना को अंजाम दिया. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने टुनजुन-ला दर्रे के जरिए भारतीय क्षेत्र में कम से कम 5 किलोमीटर अंदर घुसे थे. सभी चीनी सैनिक 55 घोड़ों पर सवार होकर आए और भारतीय बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया. इससे पहले जैसे ही भारतीय सैनिक चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पहुंचे उससे पहले ही चीन के सैनिक वहां से निकल चुके थे. उत्तराखंड में लद्दाख जैसे हालात से बचने के लिए भारतीय सेना ने चीन की गतिविधियों पर नजर आने के बाद सेंट्रल सेक्टर में तैनाती बढ़ा दी है. सूत्रों ने बताया कि यह घटना 30 अगस्त की है.
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सुरक्षा विभागों के सूत्रों के आधार पर ईटी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएलए के जवान बाराहोटी में करीब 3 घंटे तक घूमते रहे. स्थानीय लोगों की ओर से चीनी सैनिकों द्वारा उल्लंघन की सूचना दी गई थी, जिसके बाद भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की टीमों को इस जानकारी को सत्यापित करने के लिए भेजा गया था. मध्य क्षेत्र में (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तिब्बत के साथ 545 किलोमीटर की सीमा में), भारत और चीन के बीच विवाद आठ अलग-अलग क्षेत्रों में 2,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में है. बाराहोती नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के उत्तर में उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन के साथ सीमा पर स्थित है.
जुलाई 2017 में, भूटान के डोकलाम में चीन के साथ भारत के गतिरोध के दौरान चीनी सैनिकों ने दो बार बाराहोती में घुसपैठ की थी. तब आईटीबीपी के एक सूत्र ने था कि दोनों मौकों पर (15 जुलाई और 25 जुलाई को) लगभग 15-20 चीनी सैनिकों ने बाराहोटी के उस क्षेत्र में घुसपैठ की थी. सैनिक वहां कुछ समय के लिए रुकने के बाद लौट आया था. इस साल जुलाई की शुरुआत में दावा किया गया था कि हाल ही में, पीएलए के लगभग 35 सैनिकों को उत्तराखंड के बाराहोटी इलाके के आसपास सक्रिय देखा गया था. भारत ने पूर्वी लद्दाख में हुए टकराव के बाद एलएसी पर निगरानी बढ़ा दी है. क्षेत्र में दोनों देशों ने अपने 50 से 60 हजार जवान अब भी तैनात कर रखे हैं.
HIGHLIGHTS
- अगस्त में 100 से अधिक चीनी सैनिकों ने की थी घुसपैठ
- भारतीय क्षेत्र में 5 किलोमीटर के अंदर प्रवेश किया
- सभी चीनी सैनिक 55 घोड़ों पर सवार होकर आए थे